नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले रक्षा खरीद परिषद ने आर्म्ड ड्रोन एमक्यू-9 प्रीडेटर की खरीद को मंजूरी दे दी है। तीन अरब डॉलर में 30 एमक्यू-9 ड्रोन अमेरिका से लिए जाएंगे। आर्मी, एयरफोर्स को 8-8 और नेवी को 14 ड्रोन मिलेंगे। अमेरिकी दौरे के दौरान पीएम मोदी इस डील को मंजूरी दे सकते हैं।
एमक्यू-9बी सी-गार्जियन ड्रोन, जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसे समंदर को ध्यान में रखते हुए अमेरिका की जनरल एटॉमिक्स कंपनी ने बनाया है। यह ड्रोन हर मौसम में 30 घंटे से अधिक समय तक सैटेलाइट के सहारे उड़ान भर सकता है। इसका स्काई वर्जन भी अब बना लिया गया है। इसे स्काई-गार्जियन ड्रोन कहते हैं। इसके जरिए समुद्री क्षेत्र में दिन या रात में होने वाली हर एक्टिविटी की रियल टाइम में जानकारी दे सकता है। यह ड्रोन इन-बिल्ट वाइड-एरिया मैरीटाइम रडार, ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स और एक सेल्फ कंटेन्ड एंटी सबमरीन वॉरफेयर यानी एएसडब्ल्यू किट से लैस है। यह ड्रोन 2721 किलोग्राम की मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है। 40 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ने के कारण दुश्मन ड्रोन को आसानी से पकड़ नहीं पाते। इसमें दो लेजर गाइडेड एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। ऑपरेट करने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है।
कितना पुराना है अमेरिकी ड्रोन
जनरल एटॉमिक एयरोनॉटिकल के मुताबिक 2001 में एमक्यू-9ए ड्रोन ने पहली बार उड़ान भरी थी। इस ड्रोन का अपडेटेड वर्जन ही एमक्यू-9बी है। 2000 के बाद अमेरिकी सेना को चालक रहित एक ऐसे एयरक्राफ्ट की जरूरत महसूस हुई, जिसे रिमोट से कंट्रोल किया जा सके। मई 2021 तक अमेरिका के पास 300 से ज्यादा ऐसे ड्रोन थे।
क्वाड चीनी दबदबे पर रोक लगाने के लिए बना भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का गठबंधन है। इसमें शामिल सभी देश एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।2020 में भारतीय नौसेना को समुद्री सीमा की निगरानी के लिए अमेरिका से दो ‘एमक्यू-9बी’ सी गार्जियन ड्रोन एक साल के लिए लीज पर मिले थे। बाद में लीज टाइम को बढ़ा दिया गया। इसके साथ ही फ्रांस, बेल्जियम, डोमिनिकन गणराज्य, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, स्पेन, यूके, यूएई, ताइवान, मोरक्क ो जैसे देश इसका इस्तेमाल करते हैं।
प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों के रूप में देखा जाता है। चीन ने जो ड्रोन पाकिस्तान को दिया है वो 370 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 20 घंटे तक उड़ान भर सकता है। वहीं एमक्यू-9बी ज्यादा दूर तक उड़ान भरने, हवा में अधिक समय रहने और अपने जैसे दूसरे ड्रोन की तुलना में ज्यादा घातक है।
होवित्जर के नए गोले से थर-थर कांपेंगे दुश्मन
वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका में कई रक्षा समझौते होने की संभावना है। इन्हीं में से एक है, एम777 होवित्जर की लंबी दूरी तक मार करने वाले गोले की डील। पीएम मोदी के वॉशिंगटन पहुंचने से दो हफ्ते पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत और अमेरिका में होने वाले रक्षा समझौते को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चर्चा की थी।
एम777 होवित्जर के लॉन्ग-रेंज मैन्यूवरिंग प्रोजेक्टाइल (एलआरएमपी) गोले को अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स ने तैयार किया है। इस नए गोले की अधिकतम रेंज 150 किलोमीटर है।
भारत पिछले कई साल से एम777 होवित्जर का इस्तेमाल कर रहा है। इस गन को खासतौर पर चीन से लगी सीमा पर तैनात किया गया है। बाकी तोपों की अपेक्षा वजन में हल्का होने के कारण एम777 को आसानी से पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जा सकता है। ऐसे में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को एम777 के नए गोले की बहुत ज्यादा जरूरत है।
स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन बनाने की अमेरिका की पेशकश
नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में भारत और अमेरिका के रिश्ते एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। सूत्रों के अनुसार अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन तैयार करने की पेशकश की है।
इस साल की शुरुआत में यह खबर आई थी कि अमेरिका इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी भारत को ट्रांसफर कर सकता है। स्ट्राइकर दरअसल एक टैंक है और इसे दुनिया में सबसे शक्तिशाली करार दिया जाता है। भारत आठ ऐसे बख्तरबंद वाहनों का निर्माण करेगा। इस व्हीकल को अभी अमेरिका और कनाडा मिलकर तैयार करते हैं।