डॉ. सीमा द्विवेदी
अयोध्या। राम आ रहे हैं, यह सूचना मिली तो पूरी नगरी जुट गई अयोध्या को सजाने में। भरत के कहने पर शत्रुघ्न ने हजारों कारीगरों को काम पर लगा दिया। रास्तों को संवारा गया, फूल बिछाए गए, ठंडे जल का छिड़काव हुआ। हर कोना रोशनी से भर उठा, हर गली गमक उठी। वह इंतजार 14 बरसों का था। यह इंतजार सदियों का। इस बार श्रीराम ने ज्यादा कड़ी परीक्षा ली कोसलवासियों की लेकिन, अब जब वह विराजे, तो नगरी फिर वैसी ही सजी-संवरी। अयोध्या के आसमान पर कई दिनों से छाए बादल भी छंट गए। सूरज की किरणों से अभिषेक हुआ नए राम मंदिर के शिखर का और जैसे ही श्रीराम के भव्य बालरूप की प्रतिमा सामने आई, अयोध्या की प्रतीक्षा का हर पल सार्थक हो गया। भाव आंखों से बहे, पैर थिरक उठे, करबद्ध हो गए। कंठ से बस दो ही बोल फूटे, ‘जय श्रीराम’।
आसमान से पुष्प वर्षा
नीचे मंगल गान हुआ और आसमान से हेलिकॉप्टर के जरिये पुष्प वर्षा की गई। तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है, ‘अवधपुरी प्रभु आवत जानी। भई सकल सोभा के खानी।’ यानी प्रभु के आने की सूचना पाकर अवधपुरी संपूर्ण शोभाओं की खान हो गई। वही पक्तियां, वही दृश्य दोहराए गए फिर से। सुंदरता का कोई पैमाना नहीं, जिसे पार न कर दिया हो अयोध्या ने। बेहद खास रहा रामनगरी का यह सूर्योदय। ठंड में जब सूर्यदेव भी अंगड़ाइयां ले रहे होते हैं, तब शहर जग चुका था। हर छोटे-बड़े मंदिर सजाया गया था और जगह-जगह भंडारे लगे थे।
– कंठ से बस दो ही बोल फूटे, ‘जय श्रीराम’
– रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अद्भुत रही अयोध्या की शोभा
पुलिस भी राम रंग में
सड़कों पर पुलिस की भीड़ थी, लेकिन वह भी राम रंग में रंगी। 1990 में कारसेवकों पर गोलीबारी और 1992 के ढांचा ध्वंस के बाद से जो शहर हमेशा तनाव की चादर ओढ़े रहा, वह जैसे सारी बंदिशों से मुक्त हो जाना चाह रहा हो कि जैसे आज से उसकी पहचान ध्वंस से नहीं बल्कि निर्माण होगी। अब से वह सनाथ होगा। सूर्य पथ पर पिछले दस दिनों के मुकाबले भीड़ कुछ भी नहीं थी। वजह कि सुरक्षा के लिहाज से जनता की एंट्री बंद कर दी गई थी। कुछ ने पूरी रात ठंड में बिताई, सड़क किनारे।
दुकान के बाहर रात काटी
लता चौक जो सोशल मीडिया का पसंदीदा बना हुआ है, उसी के पास मिले मध्य प्रदेश के दमोह से आए भिम्मा, उजियार। रविवार को ही वे अयोध्या पहुंचे थे। पता नहीं था कि इस समय कहीं ठिकाना नहीं मिलेगा। एक दुकान के बाहर उन्होंने रात काटी और सुबह- सबेरे सरयू में स्नान कर चौक के पास खड़े हो गए। इसी सूर्यपथ पर पुलिस बैरिकेडिंग के पीछे, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दर्जनों कैमरे स्टैंड्स लगे थे, जिनके बीच में मिले बस्ती जिले के घूमे। ‘रात कहां कटी आपकी ?’ राम नाम जपना छोड़कर उन्होंने देखा और कहा, ‘रात में भागवत कथा के पंडाल में सो गए थे।’ वह कहते हैं, ‘बस एक बार रामलला के दर्शन हो जाएं, फिर चला जाऊंगा। बस एक झलक और।’
कोई खंभों से लिपटा तो किसी की हुई आंखें नम
अ योध्या। प्रभु श्रीराम चंद्रजी अनंत हैं। उनके गुण भी अनंत हैं और उनकी कथाओं का विस्तार भी असीम है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम चरितमानस में लिखा है, ‘राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार।’ अयोध्या के रामलला के दर्शन की अधीरता सुबह से ही संत समाज में दिख रही थी। जैसे ही प्रधानमंत्री ने प्राण प्रतिष्ठा की और वह कुबेर टीले की तरफ बड़े, साधुओं ने अपनी राह पकड़ ली। यह रास्ता था राम दरबार का, रामलला को निहारने का। राम रस में पगे साधुओं के कदमों की तेजी उनके मन की अकुलाहट बयान कर रही थी। संत समाज को प्राण प्रतिष्ठा के बाद सबसे पहले दर्शन का मौका।
आठ हजार विशिष्ट अतिथि
अयोध्या में बने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में तकरीबन आठ हजार लोग आमंत्रित थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत की उपस्थिति में रामलला की पूजा की, आरती की और उनकी आंखों से पट्टी हटाई।
बारी का इंतजार
इस वक्त तक दर्शक दीर्घा में विशिष्ट अतिथियों के साथ बैठे अयोध्या और देश के संत समाज के लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही दर्शन की घड़ी आई तो अन्य विशिष्ट अतिथियों से पहले संत समाज को दर्शन का पहला मौका दिया गया। सीढ़ियों पर भागते साधु जैसे ही रामलला के मंदिर में दाखिल हुए वे वहीं साष्टांग हो गए। कोई मंदिरों में जड़े पत्थरों को छू रहा था तो कोई खंभों से लिपट रहा था। दिगंबर अखाड़े के साधु तो मंदिर की चौखट को बार-बार आंखों में आंसू, मन में अधीरता और भव्य मंदिर के द्वार को चूम रहे थे। सभी संतों की आंखों में आंसू थे। इस पल का वे वर्षों से इंतजार कर रहे थे।
साधु समाज में इस अनमोल पल को कैमरे में कैद करने की भी अकुलाहट थी। ज्यादातर साधुओं के हाथों में मोबाइल थे। कोई तस्वीरें खींच रहा था तो कोई विडियो बना रहा था। साधु एक- दूसरे से गले मिलकर बधाई दे रहे थे। छोटी छावनी से आए साधु तो बार-बार ‘प्रभु की कृपा भयउ सब काजू। जनम हमार सुफल भा आजू।’ चौपाई गा रहे थे।
साधु, विशिष्टजनों से मिले पीएम
कार्यक्रम पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दर्शक दीर्घा के करीब जाकर साधु संतों और विशिष्ट जनों से मुलाकात की। दीर्घा में बैठी साध्वी ऋतंभरा ने आंखों में आंसू लिए पीएम के हाथ जोड़े। पीएम ने भी उनके हाथों को छूकर उन्हें ढांढस बंधाया। पीएम ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के हाथ हाथ छुए।