आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। आतंकवाद चाहे कहीं भी हो, उससे निपटने के लिए सभी देशों को साथ काम करने की जरूरत है। आतंकवाद सभी के लिए नुकसानदेह और पीड़ादायक है। इससे निपटने के लिए युद्ध के बजाय सभी देशों को मिलकर काम करना होगा ताकि आतंकवाद का ‘नाग’ कहीं भी ‘फन’ न उठा सके। युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और युद्ध से किसी का भला भी नहीं हो सकता। दुनिया आज अनेक प्रकार के संकटों से जूझ रही है। ये सबके कल्याण का समय है।
इसके लिए दुनिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत में हुए जी20 शिखर सम्मेलन को दिए गए ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के मूल मंत्र को आत्मसात करना होगा। यही भारत की सदियों से चली आ रही ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ की मूल अवधारणा भी है जिसका अर्थ है ‘ संपूर्ण विश्व एक परिवार’ है।
पीएम मोदी ने पी20 के सदस्य देशों की संसदों के पीठासीन सभापतियों के नौवें सम्मेलन में आतंकवाद पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि आतंकवाद से निपटने के लिए विश्व को एक साथ काम करने की जरूरत है। ये बात अलग है कि आतंकवाद जैसी इतनी बड़ी समस्या पर आज भी वैश्विक स्तर पर निहित स्वार्थों के कारण तमाम देशों के अलग-अलग विचार हैं। इसकी बानगी अभी हाल ही में कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में देखने को मिली जहां खालिस्तानी आतंकवादियों के समर्थकों ने भारत के खिलाफ प्रदर्शन किए और ये देश चुपचाप रहे।
यह अच्छा ही हुआ कि पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर के पूरी दुनिया को सही रास्ता दिखाने का सराहनीय कार्य किया है।
अब हमास द्वारा इस्राइल पर किए गए आतंकवादी हमले पर दुनिया दो धड़ों में बंटी सी दिखाई दे रही है। अत: आज की तारीख में यह परिभाषित करना सर्वाधिक जरूरी है कि आखिर आतंकवाद किसे कहा जाएगा? आतंकवाद की एक परिभाषा पर सहमति न होना आज पूरी दुनिया के लिए बेहद दुखदाई साबित हो रहा है। यह दुखद है कि अनेक देश अपने-अपने स्थानीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवाद के समर्थकों और उसमें लिप्त लोगों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
दरअसल संघर्षों और टकराव से भरी दुनिया किसी को भी फायदा नहीं पहुंचा सकती। यह सच्चाई आज की तारीख में दुनिया को समझनी होगी। भारत की बात करें तो इस्राइल पर फिलिस्तीनी चरमपंथी गुट हमास के हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध लड़़ाई में यरुशलम की पीड़ित जनता के साथ है। पीएम मोदी ने इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी आश्वस्त किया है कि संकट की इस घड़़ी में हम आपके साथ मजबूती से खड़े हैं।
वैसे पारंपरिक रूप से भारत फिलिस्तीन के न्यायसंगत अधिकारों का समर्थक रहा है पर वर्तमान मोदी सरकार ने घरेलू राजनीति से इतर आतंकवाद के संदर्भ में अपनी लाइन बिल्कुल स्पष्ट रखी है। भारत और इस्राइल के बीच रक्षा और खुफिया सहयोग भी उच्चतम स्तर पर है। हर बात को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में संतुलित एप्रोच बनाए रखी है।
हमास ने निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्या करने का जो जघन्य अपराध किया है, उस वजह से एक खास समुदाय अथवा निहित स्वार्थों के कारण कुछ लोग फिलिस्तीनी नागरिकों की मुश्किलें बढ़ने के नाम पर उसके समर्थन में खड़े हैं पर हमास का तीव्र विरोध भी हो रहा है। अमेरिका में एक प्रमुख भारतवंशी समूह ‘फॉउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ ने इस्राइल के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा कि देश में बेगुनाह नागरिकों पर हमास के आतंकवादियों द्वारा किया गया हमला मानवता के विरुद्ध एक अपराध है।
दोनों ओर से हुए हमलों में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है। कितने बेघर होगए हैं और जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम आतंकवाद को आतंकवाद कहें और किसी भी संगठन के इस प्रकार के वीभत्स और क्रूर कृत्यों की कठोरतम शब्दों में निंदा करें। इस तरह के आतंकवादी हमले और उनको लेकर देशों का बंट जाना कभी भी विश्वयुद्ध का रूप ले सकता है। अगर दुनिया में शांति लानी है तो इस्राइल के बंधक नागरिकों को रिहा कराने के तुरंत प्रयास होने चाहिए। साथ ही ऐसी आतंकवादी मानसिकता का भी दमन जरूरी है जो किसी देश का नाम-ओ-निशान मिटाना चाहती हो।
वस्तुत: भारत की स्पष्ट सैद्धांतिकी रही है कि आतंकवाद के किसी भी रूप के विरुद्ध मजबूती से खड़़ा रहना है। अपनी इसी नीति के साथ किसी भी तरह का समझौता न करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस्राइल के साथ खड़े रहने का संकल्प जाहिर किया है पर वे फिलिस्तीन के लोगों के भी हमदर्द हैं और उनके न्यायसंगत अधिकारों के लिए भी आवाज उठाते रहे हैं।
यही कारण है कि भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अबू अलहैजा ने भारत पर भरोसा जाहिर करते हुए कहा है कि भारत इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करे और बातचीत में मदद करे। यह प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कूटनीतिक सफलता ही है कि विश्व के किसी भी कोने में कोई संकट पैदा होता है तो हर कोई भारत की ओर उम्मीदों से देखता है। यह अच्छा ही हुआ कि पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर के पूरी दुनिया को सही रास्ता दिखाने का सराहनीय कार्य किया है।