विनोद शील
नई दिल्ली। विश्व के पटल पर सफलता के नए-नए आयाम गढ़ने वाला भारत सितंबर माह में देश की राजधानी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। यह महत्वपूर्ण समिट दिल्ली के प्रगति मैदान के नव निर्मित स्टेट ऑफ आर्ट कन्वेंशन कॉम्प्लेक्स ‘भारत मंडपम’ में 9 और 10 सितंबर को आयोजित होगी।
भारत वसुधैव कुटुम्बकम ् यानी “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” की प्रेरणा के साथ अपनी अध्यक्षता में इस बैठक का आयोजन कर रहा है। पूरे भारत में जी20 की 200 से अधिक बैठकें अलग-अलग राज्यों में हो चुकी हैं अथवा होनी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से जी20 के िवचारों में नई जान फूंकी है और उसके क्रियाकलापों काे परिष्कृत किया है, उसने इस समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। देश दुनिया में यही चर्चा है कि भारत की यह उपलब्धि ‘न भूतो न भविष्यति’ जैसी है। आने वाले समय में विश्व के अन्य नेताओं को इस तरह से जी20 के विजन और मिशन को परिष्कृत करने में काफी मशक्क त करनी पड़ेगी।
नई दिल्ली के ‘भारत मंडपम’ में 9 -10 सितंबर को शिखर बैठक
– विश्व का कल्याण करना सर्वोपरि मकसद, अन्य संस्थाएं बेअसर
– ग्लोबल साउथ के सभी दोस्तों की आवाज बना भारत
– भारत ने की जी20 में अफ्रीकी संघ के लिए स्थायी सीट की पहल
– “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” बना प्रेरणा
इस बार के अध्यक्ष भारत ने जिन देशों को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है उनमें बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं जबकि यूएन, आइएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आइएलओ, एफएसबी और ओसीईडी जैसे नियमित अतिथि संगठनों के अतिरिक्त भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस, कोअलिशन फॉर डिजास्टर रिसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी आंमत्रित किया है।
85 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व
जी20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह समूह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को एक साथ ले आता है। भारत ने हमेशा जी20 को एक मजबूत संगठन बनाने और सदस्य देशों के बीच आर्थिक के साथ मानवीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। 2018 में अर्जेंटीना में हुए जी20 के 13वें सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरजोर तरीके से कहा था कि पूरी दुनिया के हित में है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, टिकाऊ विकास, जलवायु परिवर्तन और भगोड़ा आर्थिक अपराधियों जैसे मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़े। भारत का हमेशा से मानना रहा है कि दुनिया की शीर्ष ताकतों को सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए। आर्थिक रूप से संपन्न देशों को छोटे-छोटे देशों के हितों का भी उतना ही ख्याल रखना होगा। प्रधानमंत्री का ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का मंत्र इस बात की ओर ही संकेत है। भारत में वैश्विक विकास को फिर से पटरी पर लाने, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और डिजिटल परिवर्तन जैसे वैश्विक चिंता के प्रमुख मुद्दों पर दुनिया की अगुवाई करने की क्षमता है।
बहुत कुछ नया कर दिखाया भारत ने
भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एक नया वर्किंग ग्रुप, एक नया इंगेजमेंट ग्रुप ‘स्टार्टअप 20’ और एक नई पहल के रूप में मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन का संचालन किया गया है। अब तक कई मंत्रिस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की दूसरी बैठक 12-13 अप्रैल को वाशिंगटन डीसी में हुई थी। सभी बैठकों से ठोस नतीजे निकले हैं, जिनसे जी20 की साझा प्राथमिकताओं पर आम सहमति को बढ़ावा मिला है। साझा प्राथमिकताओं में मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक सुधारों और ऋण उपायों पर एक विशेषज्ञ समूह की स्थापना शामिल है। विदेश मंत्रियों की बैठक में बहुपक्षीय सुधारों, विकास सहयोग, खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, नए उभरते खतरों, वैश्विक कौशल मैपिंग और आपदा जोखिम में कमी लाने पर सहमति बनी।