विनोद शील
नई दिल्ली। गत 10 वर्षों में भारत की विकास गाथा में अनेक उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं। इन बदलावों को लेकर देश की नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न संस्थाओं ने समय-समय पर प्रशंसा व सराहना भी की है। उन्हें वैश्विक स्तर पर अनुकरणीय भी माना गया है। जी20 के दिल्ली घोषणापत्र पर ऐतिहासिक सर्वसम्मति की बात हो या पर्यावरण बचाने के लिए भारत की ‘लाइफ’ की पहल, युद्ध पर भारत की मान्यता कि ‘आज का समय युद्ध का नहीं’ अथवा कोई अन्य क्षेत्र या फिर ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ के आधार पर संपूर्ण संसार को अपना परिवार मानना; सभी को दुनिया ने माना और सराहा है क्योंकि सभी नीतियों के केंद्र में जनहित ही सर्वोपरि है।
इसी क्रम में विगत सप्ताह राष्ट्रमंडल के 56 सदस्य देशों के शीर्ष सिविल सेवकों की एक बैठक के बाद भारत की केंद्रीकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) को राष्ट्रमंडल भर में सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के रूप में मान्यता दी गई है। जेफरीज इक्विटी रिसर्च आउटलुक का मत है कि पिछले दस वर्षों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शुरू किए गए मजबूत सुधार उपायों ने आने वाले दशकों में ठोस आर्थिक विकास की नींव रखी है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार पूंजीकरण हासिल करने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताजा रिपोर्ट भी कहती है कि भारत बस कुछ महीनों में ही जापान को ओवरटेक कर चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को बहुत प्रभावित किया लेकिन भारत बहुत तेजी से इससे उबर गया और उसी का नतीजा है कि अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।
– गत 10 वर्षों में बदली भारत की विकास गाथा
– जापान को ओवरटेक कर चौथे नंबर पर होगा भारत
– दुश्मन भी तरक्की के कायल
आईएमएफ ने भविष्यवाणी की है कि भारत साल 2025 में जापान को पीछे छोड़कर नंबर चार पर आ जाएगा। यह इन सब प्रयासों का ही नतीजा है कि लंदन में राष्ट्रमंडल सचिवालय मार्लबोरो हाउस मुख्यालय में आयोजित तीसरी द्विवार्षिक पैन-कॉमनवेल्थ लोक सेवा प्रमुखों की बैठक में सीपीजीआरएएमएस के संबंध में दिए गए प्रेजेंटेशन को राष्ट्रमंडल सदस्य देशों से सराहना मिली एवं इसे वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम प्रथा करार दिया गया। इस बैठक का विषय शासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने पर ध्यान देने के साथ सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए स्मार्ट सरकार का संस्थागतकरण था। बैठक में कहा गया, यह दृष्टिगोचर होता है कि वर्तमान में डिजिटल सरकार के महत्व की अधिक सराहना हो रही है, जिसने कई न्यायक्षेत्रों में ई-सेवाओं को शुरू करने पर बल दिया है। वास्तव में, नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण और संस्थानों के डिजिटल बदलाव की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ने के लिए सुरक्षित, समावेशी और निरंतर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर निर्भरता के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं को प्रदान करने के तरीके में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि भारत आज डिजिटलीकरण के क्षेत्र में भी एक अगुआ के रूप में वैश्विक स्तर पर स्थापित हो चुका है।
बैठक का प्राथमिक उद्देश्य उस समकालीन ज्ञान, विचारों और अनुभवों को साझा करना था कि राष्ट्रमंडल भर में सतत विकास के लिए 2030 एजेंडे के सेवा वितरण और उपलब्धि के लिए ई-सेवाओं के प्रावधान का समर्थन करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ कैसे उठाया जा सकता है। इसका उद्देश्य कुछ सदस्य देशों के चुनिंदा प्रासंगिक केस अध्ययनों को साझा करना और संभावित साझेदारी और सहयोग के अवसरों की पहचान करना भी है ताकि राष्ट्रमंडल देशों में सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार, सेवाओं को डिजिटल बनाने, नौकरशाही और लालफीताशाही को कम करने के लिए अपनाए गए कुछ नवीन दृष्टिकोणों और रणनीतियों के आधार पर इसे और बेहतर तथा समुन्नत किया जा सके। राष्ट्रमंडल सचिवालय के अनुसार बैठक के नतीजे और प्रमुख समझौते अनुशंसित नीतिगत उपायों और रणनीतियों का आधार बनेंगे जिनका उपयोग पूरे राष्ट्रमंडल में स्मार्ट सरकार के संस्थागतकरण को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। हालांकि पश्चिमी मीडिया का एक वर्ग ऐसा भी है जो निहित कारणों से भारत में आए इन महत्वपूर्ण बदलावों को स्वीकार नहीं कर पा रहा है जबकि विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी तमाम बड़ी संस्थाएं भारत में हुए इन बदलावों की प्रशंसा करते नहीं थकतीं। कॉमनवेल्थ महासचिव सुश्री पेट्रीसिया स्कॉटलैंड केसी कहती हैं, सीपीजीआरएएमएस एक स्मार्ट सरकार की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली है। राष्ट्रमंडल के शेष 1.2 अरब नागरिक प्रौद्योगिकी मंच को अपनाने से लाभ उठा सकते हैं, इसी तरह भारत के 1.4 अरब नागरिक लाभान्वित हुए हैं।”
पाकिस्तान मांग रहा भीख
पाकिस्तान में भारत के विकास पर संसद में आवाजें उठने लगी हैं। इस साल हुए चुनावों के बाद नेशनल असेंबली (एनए) में अपने उद्घाटन भाषण में कट्टरपंथी पार्टी जेयूआई-एफ के प्रमुख और विपक्ष के नेता मौलाना फजलुर्रहमान ने कहा, भारत एक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है और हम दिवालियापन से बचने के लिए भीख मांग रहे हैं। कॉमनवेल्थ सचिवालय ने सदस्य देशों के साथ भारत की सीपीजीआरएएमएस नागरिक पंजीकरण और महत्वपूर्ण सांख्यिकी प्रणाली के अतिरिक्त नामीबिया की पहचान प्रबंधन प्रणाली, मानव संसाधन प्रबंधन एवं केन्या के ई-नागरिक मॉडल को शासन की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के रूप में भी मान्यता प्रदान की है।
सीपीजीआरएएमएस क्यों है सर्वोत्तम…
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) एक ऑनलाइन मंच है जो नागरिकों को सेवा वितरण से संबंधित किसी भी विषय पर सार्वजनिक अधिकारियों के समक्ष अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए 24×7 उपलब्ध है। यह भारत सरकार और राज्यों के सभी मंत्रालयों/विभागों से जुड़ा एक एकल पोर्टल है। भारत की लोक शिकायत निवारण प्रणाली राष्ट्रमंडल में इसलिए सर्वोत्तम मानी गई क्योंकि इसका उद्देश्य बेहतर, तेज और सस्ती सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने, कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर ज्ञान साझा करने वाले नेटवर्क बनाने, सुशासन को बढ़ावा देने और उपलब्धि को सुविधाजनक बनाने को सरकारों के लिए क्षमता निर्माण पहल का समर्थन करना है।
तरक्की को अनदेखा कर रहा पश्चिम
नफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अनुराग मैराल कहते हैं कि गत एक दशक में हुई भारत की तरक्क ी की पश्चिमी मीडिया जानबूझकर अनदेखी कर रहा है। भारत जैसे देश की दूर से रिपोर्टिंग करना, ऐसी कहानियां लिखने का एक नुस्खा है, जो कभी विश्वसनीय नहीं हो सकता। देश में चुनाव, लोकतंत्र और पीएम मोदी पर पश्चिमी मीडिया व अमेरिका में छपे नकारात्मक लेखों की श्रंखला ज्यादातर हकीकत से परे और हास्यास्पद होती है।
– जीडीपी अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 7 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़कर 3.6 ट्रिलियन डॉलर हो गई
– 11वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
– सापेक्षिक राजनीतिक स्थिरता देखी गई
– सर्वोच्च आर्थिक विकास nकॉर्पोरेट, अर्थव्यवस्था व तकनीकी उन्नति, नवाचार में सुधार
•- प्रत्यक्ष व अचल संपत्ति निवेश में वृद्धि
– बढ़े यूनिकॉर्न
– डिजिटलीकरण, शिक्षा पर काम, लैंगिक अंतराल घटा, कौशल विकास, स्टार्ट-अप संस्कृति और कल्याणकारी योजनाओं की पहुंच बढ़ी
– सड़कों, रेलमार्गों, हवाई अड्डों और बंदरगाहों के निर्माण में अरबों डॉलर खर्च किए गए।