ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इस बार कंबाइंड कमांडर कॉन्फ्रेंस-2023 की थीम ‘तैयारी, पुनरुत्थान और प्रासंगिक’ पर आधारित थी। इसमें लगातार आगे बढ़ने का संदेश दिया गया। पीएम मोदी समिट के दौरान डीआरडीओ व तीनों सेनाओं के इनोवेशन से भी रूबरू हुए। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे हाल में आयोजित समिट में पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे। सम्मेलन के आयोजन की जिम्मेदारी नौसेना के पास थी लेकिन दुर्भाग्यवश कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उसी के मुखिया इसमें नहीं भाग ले सके। बैठक में सीडीएस, थल सेना व वायुसेना सेना प्रमुख के साथ वाइस चीफ, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ, 7 आर्मी कमांडर व 3 नेवल कमांड के चीफ शामिल हुए। तीनों सेनाओं की बैंड प्रस्तुति के साथ सम्मेलन की शुरुआत हुई।
सैन्य कमांडर सम्मेलन साल में दो बार होने वाला एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम है, जिसमें सीओएएस, वीसीओएएस, सभी सेना कमांडर सहित भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। ये भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए सैन्य मामलों के विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करने का एक औपचारिक मंच है।
गत वर्ष दो बार यह सम्मेलन, पहला अप्रैल और दूसरा नवंबर में आयोजित किया गया था। अप्रैल में विश्व भर में चल रही अस्थिरता का सुरक्षा की दृष्टि से भारत पर किसी के संभावित प्रभावों और मूल्यांकन से संबंधित पहलुओं पर 18 से 22 अप्रैल तक नई दिल्ली में मंथन हुआ था। सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे मौजूद थे। दूसरा सम्मेलन 7 से 11 नवंबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया। पांच दिवसीय सम्मेलन में पाकिस्तान-चीन से लगती सीमा समेत राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा करने के साथ ही उन उपायों पर भी मंथन किया गया था जिनसे 13 लाख सैनिकों वाली देश की मजबूत सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाया जा सके।
अग्निवीर को लेकर भी चर्चा
इस साल भोपाल में पीएम मोदी ने सम्मेलन में प्रदर्शित आत्मनिर्भर भारत के रूप में देश में तैयार हुए रक्षा से जुड़े नये हथियार और अन्य उपकरणों का जायजा लिया। साथ ही डीआरडीओ और तीनों सेनाओं के इनोवेशन से रूबरू हुए। तीनों सेनाओं की जॉइंट कमांड स्ट्रक्चर्स को लेकर भी वहां चर्चा की। वहीं अग्नि वीर योजना को मिली प्रतिक्रिया और उसको लेकर आगे की क्या प्लानिंग केंद्र सरकार करने वाली है, इसको लेकर भी विचार विमर्श किया। बताया जा रहा है कि तीनों सेनाओं में अंग्रेजों के समय से चले आ रहे प्रतीक चिन्हों को बदलने पर भी चर्चा हुई।