नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के शीर्ष कमांडरों के शिखर सम्मेलन में भारत के समक्ष सुरक्षा चुनौतियों और उनसे निपटने के लिए सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। माना जाता है कि चीन से सटी सीमा पर भारत की सुरक्षा चुनौतियां और पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद से निपटने के तरीके उन प्रमुख मुद्दों में शामिल थे, जिन पर वार्षिक संयुक्त कमांडर सम्मेलन में चर्चा हुई। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने सेना के तीनों अंगों से नए और उभरते खतरों से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बलों को आवश्यक हथियारों और प्रौद्योगिकियों से लैस करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।
पीएम के बयान का संदर्भ
पीएम का यह बयान रक्षा मंत्रालय के एक बड़ी डिफेंस डील साइन करने के एक दिन बाद आया। गौरतलब है कि स्वदेशी सैन्य हार्डवेयर के साथ सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए 32,100 करोड़ रुपए का करार किया गया है।
पीएम मोदी ने राष्ट्र निर्माण में तीनों सेनाओं की भूमिका और अन्य देशों को मानवीय मदद करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उल्लेखनीय है कि है यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन में करीब 3 साल से सीमा विवाद लगातार बढ़ रहा है।
बढ़ता भारत-चीन विवाद
गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स के उदाहरण सामने हैं। हालांकि, भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच अब तक 17 दौर की बातचीत हो चुकी है, दौलत बेग ओल्डी सेक्टर के देपसांग और डेमचोक सेक्टर के चारडिंग नाला जंक्शन की समस्याएं अभी भी बातचीत की मेज पर हैं।
सम्मेलन का दायरा बढ़ाया गया
पिछले संयुक्त कमांडर सम्मेलन से हटकर इस साल के सम्मेलन के दायरे का विस्तार किया गया था। इसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के हर कमांड से सैनिकों की भागीदारी के साथ कुछ इंटरेक्टिव सेशन आयोजित किए गए थे जिनमें ट्राई-सर्विसेज अंडमान और निकोबार कमांड भी शामिल थी।
तीनों सेनाओं में एकीकरण
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस बार का सम्मेलन विशेष था, जहां विभिन्न रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं में बदलाव और तीनों सेनाओं के बीच अधिक एकीकरण के लिए आगे बढ़ने जैसे समकालीन मुद्दों पर विभिन्न फील्ड इकाइयों से जानकारी मांगी गयी थी।