ब्लिट्ज ब्यूरो
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव परिणाम कई मायने में महत्वपूर्ण हैं। कश्मीर के सियासी अखाड़े से दूर रहकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान मार ले गए। परिवारवादी राजनीति के खिलाफ उनकी लड़ाई ने रंग दिखाया और बारामुला सीट से उमर अब्दुल्ला व अनंतनाग से महबूबा मुफ्ती को अवाम ने नकार दिया। भाजपा हमेशा जम्मू-कश्मीर को तीन परिवारों कांग्रेस, अब्दुल्ला व मुफ्ती से बचाने की लड़ाई लड़ती रही है।
पांच लोकसभा सीटों में जम्मू और उधमपुर सीटों पर भाजपा कब्जा जमाकर अपनी साख बचाने में कामयाब रही है। अनंतनाग राजोरी सीट पर नेकां, पीडीपी और भाजपा समर्थित अपनी पार्टी का मुकाबला था। शुरू से ही नेकां ने एकतरफा बढ़त हासिल की और चुनाव जीतने में सफल रही। यहां लोगों ने परिवारवादी पार्टी पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती को हरा दिया।
– सियासी अखाड़े से दूर रहकर भी मैदान मार गए मोदी
इसी तरह बारामुला में भी परिवारवादी पार्टी नेकां के उमर अब्दुल्ला को जनता ने नकार दिया। इंडिया ब्लाॅक ने कोई खास कमाल नहीं दिखाया। गठबंधन में शामिल कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। उसे उधमपुर व जम्मू दोनों सीटों पर हार का स्वाद चखना पड़ा। नेकां को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा। 2019 में नेकां के पास कश्मीर की तीन सीटें थी, लेकिन इस बार बारामुला सीट हाथ से निकल गई। उत्तरी कश्मीर में सक्रिय पीपुल्स कांफ्रेंस तथा अनुच्छेद 370 के बाद बनी नई पार्टियां अपनी पार्टी और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी का खाता नहीं खुल सका।
लद्दाख में भाजपा के लिए खतरे की घंटी
लद्दाख में भी सत्ता विरोधी लहर ने उलटफेर करते हुए भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने की मांग की अनदेखी से सत्ता से नाराजगी ने उसकी हैट्रिक की राह रोक दी। यहां भाजपा और कांग्रेस को नकारते हुए लोगों ने निर्दल को अपना नुमाइंदा चुन लिया।