ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को सर्वेक्षण की आड़ में चुनाव बाद कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए मतदाताओं के पंजीकरण जैसी गतिविधियां तत्काल बंद करने का निर्देश दिया है। दरअसल, आयोग के संज्ञान में आया था कि विभिन्न राजनीतिक दल और उम्मीदवार सर्वे की आड़ में मतदाताओं का विवरण मांग रहे हैं। उनका पंजीकरण कर रहे हैं।
आयोग ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है। राजनीतिक दलों को विज्ञापन, सर्वेक्षण या मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये मतदाताओं का ब्योरा हासिल करने से परहेज करने की सलाह देते हुए आयोग ने कहा, ऐसी गतिविधियां चुनाव कानून के तहत भ्रष्ट आचरण के दायरे में आती हैं। सामान्य चुनावी वादे स्वीकार्यता के दायरे में आते हैं, लेकिन चुनाव बाद के लाभों के लिए पंजीकरण के उद्देश्य से मतदाताओं को आमंत्रित करना एक तरह के लेन-देन का आभास देता है। यह लाभ का प्रलोभन देना है, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 (1) के तहत घूसखोरी है। इससे वोटरों के भ्रमित होकर दल विशेष के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित होने की संभावना है।
निर्वाचन अधिकारी करें कार्रवाई
आयोग ने इस संदर्भ में जिला निर्वाचन आयुक्तों को तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करने को कहा है। उनसे ऐसे किसी भी विज्ञापन पर तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है जिसमें व्यक्तिगत मतदाताओं से मोबाइल पर मिस्ड कॉल देकर या टेलीफोन नंबर पर कॉल करके लाभ के लिए खुद को पंजीकृत करने का आह्वान किया गया हो।