ब्लिट्ज ब्यूरो
संयुक्त राष्ट्र। गाजा पर इस्राइली सेना के जमीनी युद्ध के बीच भारत ने फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाए जाने की उम्मीद जताई है। भारत ने कहा कि फलस्तीन के जिस आवेदन के विरुद्ध अमेरिका ने गत माह वीटो किया था, उस पर पुनर्विचार किया जाए और वैश्विक संगठन का सदस्य बनने की उसकी कोशिश को समर्थन मिलना चाहिए। हालांकि अमेरिका व इस्राइल इसके खिलाफ हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, हम जानते हैं कि विश्व निकाय में सदस्यता के लिए फलस्तीन के आवेदन को वीटो के कारण सुरक्षा परिषद ने अनुमोदित नहीं किया लेकिन मैं भारत की दीर्घकालिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए शुरुआत में ही यह बताना चाहती हूं कि हम आशा करते हैं कि उचित समय पर इस पर पुनर्विचार किया जाएगा।
यूएन का पूर्ण सदस्य बनने के प्रयास का समर्थन
उन्होंने कहा कि यूएन का पूर्ण सदस्य बनने के फलस्तीन के प्रयास का समर्थन किया जाएगा। इस समय फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र में एक ‘गैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश’ है जिसे 2012 में महासभा ने यह दर्जा दिया था। कंबोज ने महासभा में कहा, भारतीय नेतृत्व बार-बार जोर दे रहा है कि इस्राइल-फलस्तीन में सीधी वार्ता व द्वि- राष्ट्र समाधान ही एकमात्र विकल्प है।
वार्ता योग्य माहौल बनाने का आग्रह
रुचिरा कंबोज ने कहा कि स्थायी समाधान पर पहुंचने के लिए भारत सभी पक्षों से शीघ्र ही प्रत्यक्ष शांति वार्ता फिर से शुरू करने के लिए अनुकूल परिस्थितियों को बढ़ावा देने का आग्रह करेगा।
गाजा में हालिया संघर्ष छह महीने से अधिक समय से जारी है और इससे उत्पन्न मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है। इसके चलते क्षेत्र और उसके बाहर भी अस्थिरता बढ़ने की आशंका है।
विभिन्न अवसरों पर भारत का समर्थन
उल्लेखनीय है कि भारत 1974 में फलस्तीन मुक्ति संगठन को फलस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश बना था। भारत 1988 में फलस्तीन को मान्यता देने वाले शुरुआती देशों में से एक था।