मनोज जैन
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से पेश दिल्ली सर्विस बिल राज्यसभा में पास हो गया। ऑटोमैटिक वोटिंग मशीन खराब होने के कारण पर्ची से वोटिंग कराई गई। पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट डले। बिल अब राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए जाएगा, उसके बाद कानून बन जाएगा। लोकसभा में यह बिल 3 अगस्त को ही पारित हो गया था। दिनभर की बहस के बाद गृह मंत्री जवाब देने आए तो उन्होंने विपक्ष को चैलेंज दिया कि इस बिल को गिराकर दिखाओ।
भ्रष्टाचार मुक्त शासन का उद्देश्य
शाह ने कहा- इस बिल का उद्देश्य है दिल्ली में सुचारू रूप से भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो। बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।
जो लोग कह रहे हैं कि आज दिल्ली है, कल ओडिशा की बारी है, फिर दूसरे राज्य की बारी आएगी। ये गलत है। ये मानसिकता बदलनी होगी। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है। इससे किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए।
किसी को केंद्र से कोऑर्डिनेशन में दिक्क त नहीं हुई
दिल्ली में मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। किसी को केंद्र से कोऑर्डिनेशन में दिक्क त नहीं हुई। किसी को ट्रांसफर पोस्टिंग में दिक्कत नहीं हुई लेकिन एक आंदोलन से बनी सरकार को इससे दिक्कत आने लगी। उन्हें लगता है कि हम केंद्र की ताकत बढ़ाने के लिए ये बिल लाए हैं। हम आपको बताना चाहते हैं कि इस देश की जनता के आशीर्वाद से हम ताकतवर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर काम करने का अधिकार केंद्र को दिया, सेवा का अधिकार राज्य को देने की बात कही। संविधान कहता है कि केंद्र को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है।
सत्र का कभी समापन ही नहीं हुआ
उन्होंने कहा कि पूरे देश में दिल्ली विधानसभा एकमात्र ऐसी विधानसभा है, जिसके सत्र का कभी समापन ही नहीं हुआ। स्पीकर जब चाहे राजनीतिक भाषणों के लिए सत्र बुला लेते हैं। 2020 से अब तक बजट सत्र के नाम पर ही दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाया गया। ये विधानसभा चलाने का तरीका गलत है। अमित शाह ने कहा कि हमारी पार्टी का जन्म 1950 में हुआ था, इसलिए हमारी पार्टी आजादी की लड़ाई में नहीं थी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी की लड़ाई में शामिल थे
हमारी पार्टी के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी की लड़ाई में शामिल थे। उनकी वजह से ही बंगाल और कश्मीर आज भारत में हैं। आप कहते हैं कि हमें नागपुर से इशारा आता है। नागपुर भारत में ही है। आपको तो रशिया और चाइना से इशारा आता है।
गृहमंत्री अमित शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा, बिल का उद्देश्य भ्रष्टाचारविहीन शासन करना है। दिल्ली की सुरक्षा के लिए यह बिल लाया गया है। दिल्ली का चुनाव लड़ने वालों को ये समझना चाहिए कि दिल्ली यूनियन टेरिटरी है।
– हमें इशारा नागपुर से आता है तो आपको चाइना से : अमित शाह
बिल संघीय ढांचे के खिलाफ : सिंघवी
इसके पहले कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा- ये बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है। इसके बाद मुख्यमंत्री दो सचिवों के नीचे आ जाएंगे यानी सचिव फैसला करेगा और मुख्यमंत्री देखेगा। सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुख सुपर सीएम यानी गृह मंत्रालय से ही बनाए जाएंगे।
पूर्व सीजेआई गोगोई पहली बार बोले
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई पहली बार बतौर सांसद राज्यसभा में बोले- मैंने दिल्ली सर्विस बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- अध्यादेश से संबंधित दो प्रश्न सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को भेजे गए हैं, इसका सदन में बहस से कोई लेना-देना नहीं है।
कांग्रेस ने फिर भी इनको माफ कर दिया
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि संसद को दिल्ली पर कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा- आप ने पंजाब और दिल्ली से कांग्रेस को साफ कर दिया, गुजरात में वोट हाफ कर दिया, फिर भी कांग्रेस ने इनको माफ कर दिया।
इमरजेंसी लगाने के लिए नहीं लाए बिल
दिल्ली सर्विस बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने चुटकी ली, यह बिल पूर्व की तरह प्रधानमंत्रियों की सदस्यता बचाने नहीं लाए। इमरजेंसी लगाने नहीं लाए। शाह के यह कहते ही कांग्रेस के सदस्य भड़क गए। इस पर शाह बोले- कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं है। आपने देश को इमरजेंसी दी थी। आम आदमी पार्टी का जन्म कांग्रेस को गाली देकर हुआ। खड़गे साहब आप जिस गठबंधन को बचाने के लिए इस बिल का विरोध कर रहे हैं, सदन के बाद केजरीवाल साहब आप से मुंह मोड़ लेंगे। उन्होंने कहा, कांग्रेस को पता है कि अकेले कुछ होने वाला नहीं है। इसलिए गठबंधन बना लिया है।
ऐसा गठबंधन जो सैद्धांतिक रूप से एक नहीं है। केरल में कांग्रेस और लेफ्ट एक दूसरे के खिलाफ है लेकिन गठबंधन में ईलु-ईलु कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस का जन्म ही लेफ्ट के विरोध में हुआ लेकिन वे भी साथ हैं। मैं इन्हें बता दूं कि 4-5 दल और जोड़ लें, फिर भी 24 मई 2024 को नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे।