ब्लिट्ज ब्यूरो
गृह मंत्रालय के मुताबिक नौ राज्यों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। दूसरे देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सीएए का लाभ नहीं मिलेगा। इनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं।
इन नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत अधिकार दिए गए हैं। इन जिलों के अधिकारियों को अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं। असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है। इन दो राज्यों के किसी भी जिले के अधिकारियों को अब तक नागरिकता देने के अधिकार नहीं दिए गए हैं।
पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी
अधिकारी के अनुसार नियम तैयार हैं और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बगैर भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है। अन्य विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह समय अवधि 11 साल से अधिक है।
भारतीय सीएए से अप्रभावित
भारतीय नागरिकों से इसका कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
सीएए निकालने के लिए नहीं है
सीएए विदेशियों को निकालने के बारे में नहीं है। इसका गैरकानूनी शरणार्थियों को निकालने से लेना-देना नहीं है। ऐसे शरणार्थियों के लिए विदेशी अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 पहले से लागू हैं। दोनों कानूनों के तहत किसी भी देश या धर्म के विदेशियों का भारत में प्रवेश या निष्कासन किया जाता है।
4 साल, 3117 नागरिक बने
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिसंबर 2021 में राज्यसभा में बताया था कि वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 के दौरान पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए कुल 3117 अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी गई। हालांकि आवेदन 8244 मिले थे। वहीं गृह मंत्रालय की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2021 में कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई। इसके लिए पंजीकरण या देशीयकरण (रजिस्ट्रेशन या नेचुरलाइजेशन) सिद्धांत का सहारा लिया गया।