संजय द्विवेदी
लखनऊ। ताजमहल के आसपास की यमुना के दिन अब बदलने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के इर्द-गिर्द प्रदूषित यमुना और यमुना में जमा सिल्ट,गंदगी और गार्ड को लेकर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कड़ा फैसला दिया है।
आगरा के सीनियर एडवोकेट केसी जैन की 2019 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई पर अहम फैसला आया है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के अलावा आगरा विकास प्राधिकरण को कड़े शब्दों में आदेश दिया है कि वह यमुना से जल्द से जल्द सिल्ट, गार्बेज और गंदगी की सफाई कराएं। इसके साथ ही जून के आखिरी सप्ताह तक हलफनामा भी दाखिल करें। साथ ही पूछा गया है कि यमुना की नियमित सफाई की जिम्मेदारी किस संस्था की है।
यमुना के पानी से ही है ताजमहल की मजबूती
यमुना नदी से ही ताजमहल का अस्तित्व है। विश्व की सबसे खूबसूरत इमारत में शुमार ताजमहल की मजबूती यमुना नदी के पानी से है। ताजमहल के ढांचे में इस तरह की लकड़ियों का इस्तेमाल किया है, जो यमुना नदी के पानी से नमी सोख कर अपने आप को मजबूत रखती हैं। अगर ताजमहल के इर्द-गिर्द यमुना में साफ पानी नहीं रहेगा, तो ताजमहल को भी काफी हद तक खतरा है।
सरकार व आगरा प्राधिकरण से मांगा हलफनामा
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कड़े शब्दों में जिम्मेदारों को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द यमुना और ताजमहल के आसपास की यमुना में मौजूद सिल्ट, गंदगी और बालू को साफ किया जाए।
मौजूद गंदगी में पनपते हैं गोल्डी काइरोनोमस कीड़े
यमुना में लगातार गंदगी की वजह से गोल्डी काइरोनोमस कीड़े उत्पन्न होते हैं। ये कीड़े ताजमहल की पिछली दीवार पर चिपक कर उसके संगमरमर पत्थर को खराब कर रहे हैं। यह कीड़ा गाद और गंदगी में पनपता है। यही वजह है कि यमुना की तरफ की ताजमहल की दीवार को साफ करने में कई बार एएसआई को लाखों का खर्च करना पड़ता है।
अगर यमुना साफ होगी, तो ताजमहल की सुंदरता में चार चांद लगेंगे। इसके अलावा उन कीड़ों से भी ताजमहल को बचाया जा सकेगा।