ब्लिट्ज ब्यूरो
रुड़की। वैज्ञानिकों ने रेगिस्तानी मिट्टी से ऐसी ईंट बनाने में सफलता हासिल की है जिसे भट्ठे में पकाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी मजबूती सामान्य ईंट जैसी ही है मगर कीमत उससे कम। चूंकि यह आग में पकाई नहीं जाती इसलिए पर्यावरण पर गैर वाजिब बोझ नहीं पड़ता। ये ईंटें (बायोब्रिक) घरों को ठंडा भी रखेंगी।
रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों की इस तकनीक से न केवल घर बनाना सस्ता होगा, बल्कि पर्यावरण की रक्षा होगी व ईंन्धन भी बचेगा।
ये ईंटें हल्की होंगी
भवन निर्माण करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले सीमेंट, रेत, ईंटें, बजरी आदि की कीमतें काफी ज्यादा होती हैं। लिहाजा कुछ पदार्थों को चुनकर सस्ती ईंट बनाने की तैयारी की गई।
वैज्ञानिकों का दावा है कि पर्यावरण अनुकूल ईंट बनाने का प्रयोग सफल रहा। वैज्ञानिकों ने बताया कि दो मंजिला या अन्य छोटे-छोटे मकान तथा बाउंड्रीवाल में बी तथा सी ग्रेड की ईंट इस्तेमाल की जाती हैं। इन जगहों पर बायोब्रिक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
ये फायदे होंगे
वैज्ञानिकों का दावा है कि बायोब्रिक की बाहरी सतह सामान्य ईंट से ज्यादा समतल होने की वजह से प्लास्टर करने से भी छुटकारा मिल जाएगा। बायोब्रिक की क्षमता बी ग्रेड ईंट के बराबर होती है। जिस प्रकार नदियों के किनारे खनन हो रहा है, आने वाले कुछ सालों में खनन सामग्री भी कम पड़ जाएगी। मकान निर्माण में पर्यावरण अनुकूल इस ईंट के प्रयोग करने पर रेत और बजरी पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।