ब्लिट्ज ब्यूरो
भारत में मिलने वाले जूते-चप्पल अमेरिकी या यूरोपीय नाप के होते हैं। यही वजह है कि वे हमारे देश के लोगों के पैरों में ढंग से फिट नहीं हो पाते । दरअसल, भारतीयों के पैर अमेरिकियों और यूरोपियनों से ज्यादा चौड़े होते हैं लेकिन कंपनियां जूते-चप्पल अमेरिकियों या यूरोपीय लोगों के पैर की लंबाई और चौड़ाई के आधार पर ही तैयार करती हैं लेकिन अब ये व्यवस्था बदलने वाली है। अब जूते-चप्पलों के भारतीय मानक तैयार हो रहे हैं।
अगले साल से भारतीय मानक
अगले साल यानी 2025 से कंपनियां अलग से भारतीयों के लिए फुटवियर तैयार करेंगी। इसके लिए बीएचए कोड रखा गया है, जिसका मतलब भारत से है।
– ऑनलाइन खरीदे गए 50 प्रतिशत फुटवियर सही नाप न होने से लौटा दिए जाते हैं
मान्यता मिलनी अभी बाकी
इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड से मान्यता मिलनी अभी बाकी है। इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह भारत का बड़ा बाजार। आपको यह भी बता दें कि ऑनलाइन खरीदे गए 50 प्रतिशत फुटवियर सही नाप न होने से लौटा दिए जाते हैं। अब अगर भारतीयों के पैर के हिसाब से जूते-चप्पल बनते हैं तो कंपनियों को भी फायदा होगा।