ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अब एक नई तकनीक के सहारे रक्त नमूनों की गुणवत्ता को खराब होने से बचाया जा सकता है। इस फेज चेंज मटेरियल (पीसीएम) तकनीक से बनी पैकेजिंग में नमूने को सही तापमान पर रखा जाता है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि जब भी किसी चिकित्सा जांच के नतीजे गलत आते हैं तो अक्सर टाइपिंग मिस्टेक को दोष दिया जाता है जबकि इसका मूल कारण तापमान में बदलाव होता है।
विशेष तापमान चाहिए
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के अनुसार, रक्त नमूनों को रखने के लिए विशेष तापमान चाहिए चाहिए।
अगर लाल रक्त कोशिकाओं की जांच के लिए नमूना लिया गया है तो उसे एक से छह डिग्री सेल्सियस के तापमान पर 42 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर प्लेटलेट्स जांच के लिए नमूना लिया है तो उसे 20 से 24 डिग्री तापमान पर लगातार हिलाते हुए पांच दिन तक रखा जा सकता है। अगर प्लाज्मा को रक्त से लिया गया है तो उसे आठ घंटे के अंदर-18 डिग्री सेल्सियस या उससे कम तापमान पर जमा किया जाना चाहिए।
प्लस एडवांस्ड टेक्नोलॉजीज के उपाध्यक्ष विष्णु शशिधरन ने बताया कि ज्यादा तापमान से रक्त नमूनों में कुछ बायोकैमिकल बदलाव हो सकते हैं। खून में कई तरह के सेल्स, प्रोटीन और एंजाइम होते हैं, जो तापमान बदलने से खराब हो सकते हैं।
छोटे शहरों में ज्यादा जोखिम
रक्त नमूनों की गुणवत्ता का सबसे बड़ा जोखिम छोटे शहरों के मरीजों के लिए होता है। यहां से जांच प्रयोगशालाएं कई किमी दूर होती हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि अगर नमूने को सही तापमान पर नहीं रखा गया तो उसकी गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।