सिंधु झा
डियन एयरफोर्स ने अपने 36 राफेल फाइटर जेट्स में लगी फ्रांस की ‘माइका’ मिसाइलों को हटाने का फैसला किया है। इन मिसाइलों की रेंज 80 किलोमीटर है, जो आज के हिसाब से ठीक नहीं है। अब राफेल में अस्त्र एमके-1 और अस्त्र एमके-2 मिसाइलें लगाई जाएंगी। बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय दो मिराज-2000 फाइटर जेट्स ने आठ पाकिस्तानी जेएफ-17 फाइटर जेट्स के साथ आसमान में लड़ाई ( डॉग फाइट) की थी। उस दौरान ‘माइका’ मिसाइल की सीमित रेंज की वजह से उन पर हमला करने में दिक्क त आई थी। इसलिए इन फाइटर जेट्स में अस्त्र मिसाइलों के इस्तेमाल की बात की जा रही है।
अस्त्र मिसाइल बियॉन्ड विजुअल रेंज हवा से हवा में मार करने वाली (एयर-टू-एयर) मिसाइल है, यानी जहां पायलट की नजर नहीं जाती, वहां पर भी यह मिसाइल दुश्मन को धराशायी कर देगी। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड इसे बनाती है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राफेल में अस्त्र एमके-1 मिसाइल लगाने का फैसला लिया जा चुका है । जबकि मिराज-2000 को हटाकर जब तेजस एमके-2 फाइटर जेट्स आएंगे, उनमें अस्त्र-एमके-2 मिसाइलें लगेंगी।
lजहां पायलट की नजर नहीं जाती, वहां भी दुश्मन को कर देगी धराशायी
देश में अभी तक इस कैटेगरी की स्वदेशी मिसाइल मौजूद नहीं थी। यह किसी भी तरह की रेंज में हमला करने में सक्षम है। फिलहाल इसके कई वैरिएंट्स मौजूद हैं वो 10 किलोमीटर से लेकर 110 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम हैं। फिलहाल इसे सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट में लगाया गया है। अस्त्र एमके-I को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डिजाइन किया है। इसकी सबसे अहम खासियत है कि जो टारगेट नजरों से नहीं दिखते, उन्हें भी मार गिराने में यह काम आएगी। ऐसी मिसाइलें अपने फाइटर जेट को स्टैंड ऑफ रेंज प्रदान करती हैं। स्टैंड ऑफ रेंज का मतलब होता है कि दुश्मन की तरफ मिसाइल फायर करके खुद उसके हमले से बचने का सही समय मिल जाए।
अस्त्र मिसाइल का वजन 154 किलोग्राम , लंबाई करीब 12.6 फीट और इसका व्यास 7 इंच है। एक मिसाइल की कीमत करीब 7 से 8 करोड़ रुपये आती है। यह 2017 से लगातार बनाई जा रही है। इसका पहला वैरिएंट है- अस्त्र एमकेआई जिसकी मारक क्षमता 110 किलोमीटर है।