ब्लिट्ज ब्यूरो
सोलन। मलेरिया से बचाव के लिए देश का पहला टीका तैयार हो गया है। टीके को सेंट्रल ड्रग्स लैबोरटरी (सीडीएल) कसौली ने मंजूरी दे दी है। आर-21 नामक यह टीका जल्द ही बाजार में आ सकता है। मलेरिया से बचाव में इस टीके को क्रांतिकारी उपलब्धि माना जा रहा है।
सीडीएल के सूत्रों ने बताया कि कसौली लैब में हुए परीक्षणों के दौरान टीके के छह बैच को मंजूर कर ग्रीन टिक दे दिया गया है। मलेरिया से बचाव के लिए अब लोगों को टीके का एक डोज लगाया जा सकेगा। इससे पूर्व हुए परीक्षण में यह टीका मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ 70 फीसदी से अधिक कारगर माना गया था। बचाव की अवधि की अभी यह जानकारी नहीं है। अभी कीमत का भी खुलासा नहीं हुआ। टीका विकसित होने का सबसे बड़ा लाभ मलेरिया से होने वाली मौतों में कमी के रूप में होगा क्योंकि यह मलेरिया की गंभीरता को कम कर देगा। सीडीएल के अधिकारियों ने बताया कि जून में टीके के बैच पास कर इसे विकसित करने वाली कंपनी को भेज दिए हैं। मलेरिया होने के बाद मरीजों को इलाज पर डेढ़ हजार रुपये तक का खर्च आता है और दो सप्ताह तक दवा खानी होती है। मरीज को ठीक होने में तीन सप्ताह तक लग जाते हैं। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में मलेरिया का इलाज मुफ्त होता है। टीका लगने के बाद मलेरिया सामान्य बुखार की तरह ही रह जाएगा।
देश के अलग-अलग स्थानों में हुए क्लीनिकल ट्रायल के दौरान टीके की सटीकता बेहतर पाई गई है। तीन क्लीनिकल ट्रायल में सफल होने के बाद टीके के उत्पादन की मंजूरी दी गई थी। कसौली की सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित है। इस लैब में भारत में उत्पादन और आयात-निर्यात होने वाले हर टीके के प्रभाव और गुणवत्ता की जांच की जाती है। बाजार में लाने से पहले टीका सीडीएल में जांच के लिए आता है। कोरोना वैक्सीन को भी सीडीएल से ग्रीन टिक मिलने के बाद ही बाजार में उतारा गया था।