आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने नए साल के पहले दिन इतिहास रच दिया। सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर इसरो पीएस एलवी-सी58/एक्सपोसैट को लॉन्च कर दिया, जो सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल का होगा। इसमें अंतरिक्ष और ब्लैक होल के रहस्यों का पता लगाया जाएगा।
इसरो के सबसे भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (पीएसएलवी) ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया। प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उल्टी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी और इस दौरान बड़ी संख्या में यहां आए लोगों ने जोरदार तालियां बजाईं।
‘एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट’ (एक्सपोसैट) एक्स-रे सोर्स के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। इसरो के मुताबिक, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है।
इसरो के अलावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था। इसरो ने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा।