आदरणीय महामहिम उपराष्ट्रपति और चेयरमैन राज्यसभा की संसद परिसर में मिमिक्री कर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने अक्षम्य अपराध किया है और आज जब उन्होंने माफी मांगने से मना किया तो सिद्ध हो गया कि यह जानबूझकर किया गया कुत्सित षड्यंत्र था जिसमें पूरा विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में शामिल था जो इस मिमिक्री की ठहाके मारकर वीडियोग्राफ़ी कर रहे थे।
आज जब कल्याण बनर्जी प्रेस को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने कहा, उनका किसी को बेइज्जत करने का इरादा नहीं था। यहां तक तो ठीक था लेकिन जब उन्होंने कहा कि मिमिक्री एक कला है और इससे किसी को बुरा लगता है तो वह कुछ नहीं कर सकते। यह तो जले पर नमक छिड़कने वाला काम कर दिया।
– बात अब खंडित विपक्ष के नेताओं के हाथ से निकल गई लगती है। किसानों ने धनखड़ को किसान पुत्र बताकर इस घटना को किसान का विरोध कहा है, जाट समुदाय महापंचायत कर रहा है। इसे जाटों की बेइज्जती से जोड़ रहा है।
कल्याण बनर्जी की नेता ममता बनर्जी जो भारत की प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब संजोए हुए हैं, उन्होंने अपने द्वारा किये हुए इससे भी भयंकर अपराध को दरकिनार कर कह दिया, यह तो बंगाल में साधारण बात है। ऐसा कहकर क्या वह धनखड़ के बंगाल का गवर्नर रहते उनके साथ चले शीत युद्ध का बदला तो नहीं ले रहीं क्योंकि जिस अपराध को वह कला की छत के नीचे प्रश्रय देना चाह रही हैं, उसी कला के अन्तर्गत अम्बिकेश महापत्रा, जो जाधवपुर विश्वविद्यालय में केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे, उनके द्वारा ममता का कार्टून बनाने पर ममता ने उन्हें ग्यारह साल की कैद करवा दी थी। यदि कलाकारों को ऐसी सजा मिलती है तो ममता दीदी अब समय आ गया है कि कथनी व करनी का फर्क न करते हुए कल्याण बनर्जी को भी जेल भिजवाएं वरना आप कहना-कुछ करना कुछ वालों की सरदार बन जाओगी।
राहुल को उनकी समझ के लिए माफ कर देना चाहिए क्योंकि उन्हें पता ही नहीं कि अट्टहास लगाते हुए मिमिक्री की वीडियोग्राफी करते हुए उन्होंने अपने चार बार के सांसद होने पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। आज जब उनसे इस विषय पर पत्रकारों ने प्रश्न पूछा तो वह इस घटना को मूक समर्थन देते हुए “नो कमेंट” कहते हुए निकल गये।
शायद कल ममता, केजरीवाल द्वारा मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम संयोजक के रूप में प्रस्तावित किए जाने से विचलित गुगली का उत्तर ढूंढ़ने की धुन में रहे होंगे। दोनों ने मिलकर सोनिया गांधी के राहुल को जबरदस्ती का नेता बनाने का ख्वाब धूलधूसरित कर दिया।
बात अब खंडित विपक्ष के नेताओं के हाथ से निकल गई लगती है। किसानों ने धनखड़ को किसान पुत्र बताकर इस घटना को किसान का विरोध कहा है, जाट समुदाय महापंचायत कर रहा है। इसे जाटों की बेइज्जती से जोड़ रहा है। खैर लगता है विवेक शून्य विपक्ष ने बैठे बिठाए सत्ता पक्ष को एक और चुनावी मुद्दा दे दिया है जिससे आज माफी मांगकर बचा जा सकता था। मेरे कितने ही कांग्रेसी मित्रों ने भी कहा कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि, इन्हें पाताल में जाने से कौन रोक सकता है।
– राहुल ने अपने चार बार के सांसद होने पर प्रश्नचिन्ह लगाया
– विपक्षियों ने किसान व जाट समुदाय की भावनाओं को आहत किया
उपराष्ट्रपति धनखड़ अपमान पर हुए भावुक और बोले…
मैंने कुछ देर पहले एक टीवी चैनल पर देखा। गिरावट की कोई हद नहीं है। आप के एक बड़े नेता एक सांसद के एक असंसदीय व्यवहार को वीडियो कर रहे थे। अाप से भी बहुत बड़े नेता हैं वो। मैं तो यही कह सकता हूं कि सद् बुद्धि आए। आप कल्पना करें एक पार्टी के एक वरिष्ठ नेता एक अन्य पार्टी के संसद सदस्य का वीडियो बना रहा है। जो राज्यसभा के चेयरमैन और स्पीकर की मिमिक्री कर रहा है। यह कितना हास्यास्पद और शर्मनाक है।
पीएम ने धनखड़ को किया फोन, अफसोस जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को फोन किया और संसद परिसर में कुछ सांसदों के व्यवहार को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। पीएम ने कहा, मैं भी पिछले 20 सालों से इस तरह का अपमान सह रहा हूं। इस बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस घटना पर निराशा जताई है। उपराष्ट्रपति ने एक्स पर पोस्ट में कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का टेलीफोन आया था।
उन्होंने पवित्र संसद परिसर में कुछ माननीय सांसदों के घृणित व्यवहार पर बहुत अफसोस जताया। उन्होंने मुझे बताया कि वो पिछले बीस वर्षों से इस तरह के अपमान सहते आ रहे हैं। भारत में उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के साथ संसद में ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है।