ब्लिट्ज विशेष
चंडीगढ़। दिमाग में पहुंचने वाले कीड़े की जांच के लिए चंडीगढ़ पीजीआई के परजीवी विज्ञान विभाग (पैरासिटोलॉजी डिपार्टमेंट) ने बेहद आसान तरीका ढूंढ़ निकाला है। अब दिमागी कीड़े से होने वाली बीमारी न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस की जांच मरीज के खून और यूरिन टेस्ट से भी की जा सकेगी जबकि अभी इसकी जांच के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद लेनी पड़ती है। परजीवी विज्ञान विभाग की पीएचडी छात्रा यश्वी मेहता ने पूर्व डीन अकादमिक डॉ. आरके सहगल के नेतृत्व में चार वर्षों के दौरान किए गए शोध के बाद यह सफलता प्राप्त की है।
यश्वी ने बताया कि इस कीड़े के अंडे जब दिमाग में पहुंच जाते हैं तो मरीज को दौरे आने लगते हैं। ऐसे में मरीज की स्थिति का आकलन करने के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद लेनी पड़ती है। ये दोनों ही प्रक्रियाएं काफी खर्चीली हैं और रिपोर्ट के लिए इंतजार भी करना पड़ता है जबकि लूपमेडिएटेड इजोटेर्मल प्रवर्धन तकनीक यानी लूप विधि से मरीज के खून और यूरिन में परजीवी के डीएनए की जांच महज एक घंटे में की जा सकती है और इस जांच में महज 200 रुपये का खर्च आता है। यश्वी ने बताया कि पीजीआई की ओपीडी में पिछले चार वर्षों में इस मर्ज से ग्रस्त 140 मरीजों को इस शोध में शामिल किया गया, जिनमें से 80 प्रतिशत में इसकी रिपोर्ट सही पाई गई है।
टीनिया सोलियम परजीवी से होती है यह बीमारी
न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस दिमाग या नर्वस सिस्टम में संक्रमण से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जो शरीर में टीनिया सोलियम नाम के परजीवी या उसके अंडे के प्रवेश के कारण होता है। जब कोई व्यक्ति टेपवर्म के अंडे निगल लेता है तो यह बीमारी होती है। परजीवी के अंडे शरीर के मांसपेशियों और मस्तिष्क के ऊतकों में घुस जाते हैं और वहां सिस्ट का निर्माण करते हैं।