ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश में तेजी से रक्षा सामग्री का निर्माण होने लगा है। इसे और गति देने के लिए सरकार ने एक और कदम उठाया है। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियों से कहा गया है कि वे सौ फीसदी स्वदेशी सामग्री से रक्षा सामान तैयार करें।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इसके पीछे उद्देश्य विदेशों से रक्षा आयात के खर्च को कम करना है। हालांकि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से इसमें कमी आई है, पर वर्तमान में न्यूनतम 50 प्रतिशत स्वदेशी कल-पुर्जे होने पर भी उसे भारत निर्मित मान लिया जाता है। इससे भले ही निर्माण देश में हो रहा हो पर बड़े पैमाने पर कल पुर्जे विदेशों से मंगाए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सभी सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों से कहा गया है कि वे अपने द्वारा बनाए जा रहे सामान में सौ फीसदी का लक्ष्य हासिल करें। दो पीएसयू जिसमें टूप कंफर्ट लिमिटेड (टीसीएल) तथा इंडिया आप्टेल लिमिटेड (आईओएल) इस लक्ष्य के करीब पहुंच चुके हैं। इसके अलावा यंत्र इंडिया (वाईआईएल) 94 तथा एडवांस वैपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया।
लिमिटेड (एडब्ल्यइआईएल) ने 95 फीसदी स्वदेशीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इनके अलावा भी करीब एक दर्जन से अधिक और रक्षा पीएसयू हैं जो उच्च श्रेणी की रक्षा सामग्री बनाते हैं जिनमें अभी भी 40-50 प्रतिशत तक कंपोनेंट विदेशों से आयात होते हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि स्वदेशी कंपोनेंट को आईडेक्स इनोवेशन फंड से मदद दी जा रही है ताकि वह उन उपकरणों का निर्माण देश में करें जो विदेशों से मंगाए जाते हैं।
तेजस में 60 फीसदी उपकरण स्वदेशी
रक्षा मंत्रालय के अनुसार टी-72 टैंकों का 76 फीसदी और टी-90 का 80 फीसदी तक स्वदेशीकरण हो चुका है। लड़ाकू विमान तेजस में 60 फीसदी तक स्वदेशी कंटेंट है। अर्जुन टैंक में 55 फीसदी तक स्वदेशी कंटेंट है। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के पोत, विमानों एवं रक्षा प्लेटफार्म में स्वदेशी कंपोनेंट अभी बहुत कम है।
साल दर साल रक्षा उत्पादन में बढ़ोतरी
(उत्पादन करोड़ में)
2019-20 79,071
2020-21 84,643
2021-22 94,845
2022-23 1,08,648
2023-24 1,26,887