Team Blitz India
अयोध्या। सिख गुरुओं ने धर्म की रक्षा के लिए जिस जिम्मेदारी का परिचय दिया, वो अभूतपूर्व है। रामजन्मभूमि की मुक्ति के प्रति भी सिख परंपरा से जुड़े धर्मयोद्धा संवेदनशील थे। 1858 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासन का एक आदेश आम रामभक्तों सहित सिखों को आंदोलित करने वाला था। इस आदेश में कहा गया था कि ढांचे के बाहर हिंदू पूजा करेंगे और भीतर मुस्लिम नमाज पढ़ेंगे।
हिंदुओं को ब्रिटिश प्रशासन का यह आदेश नागवार गुजरा। धर्म की रक्षा के लिए जान देने-लेने तक आमादा रहने वाले निहंग सिखों को जब यह सूचना मिली, तो उनका सामरिक दृष्टि से एक अति प्रशिक्षित दस्ता रामजन्मभूमि आ पहुंचा और उसने विवादित ढांचे पर कब्जा जमाने की कोशिश करने वालों को भगा कर स्वयं वहां कब्जा जमा लिया।
निहंगों का जत्था यहां करीब डेढ़ माह तक रहा। इस जत्थे में शामिल निहंगों ने पूजन-हवन करने के साथ विवादित ढांचे की दीवारों पर राम-राम लिखने के साथ वहां धर्म के प्रतीक निशान साहेब की स्थापना की। इस पर अंग्रेज तमतमा गए और 30 नवंबर 1858 को 25 निहंग सिखों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया और तत्कालीन प्रशासन को यहां से निहंगों को हटाने के लिए कड़ी मशक्क त करनी पड़ी।