ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश का पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन ‘नागास्त्र-1’ भारतीय सेना की ताकत बन गया है। सेना ने नागपुर की सोलार इंडस्ट्रीज के इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल) को आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत 480 ड्रोन का ऑर्डर दिया था। सेना ने ड्रोन की पहली खेप लेने से पहले उसका पूरा निरीक्षण किया। इसके बाद 120 ड्रोन मिले हैं।
ये अपनी श्रेणी का पहला ड्रोन है जो घुसपैठ कर रहे दुश्मनों का काल बनते हुए उनके ठिकानों को नेस्तनाबूद करेगा।
कई बार इस्तेमाल संभव
जानकारी के अनुसार स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन को टारगेट नहीं मिलता है या मिशन बीच में रद होता है तो ये पैराशूट रिकवरी सिस्टम की मदद से सुरक्षित वापस भी आ सकता है। इससे ये तो स्पष्ट है कि इस ड्रोन का भविष्य में कई बार इस्तेमाल संभव है।
सफल परीक्षण से भरोसा
‘नागास्त्र-1’ का सफल परीक्षण लद्दाख की नुब्रा घाटी के पास सेना ने किया था। परीक्षण के दौरान ड्रोन ने एक से 4 किलोग्राम वजनी वॉरहेड के साथ उड़ान भरी थी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार 4500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
अब दूसरों पर निर्भरता खत्म
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत ‘नागास्त्र -1’भविष्य में दूसरों पर निर्भरता खत्म कर सकता है। ड्रोन में इस्तेमाल 75 फीसदी कलपुर्जे भारत में निर्मित हैं। सेना ने इस ड्रोन के लिए ईईएल के साथ करीब 300 करोड़ रुपये का करार किया था।
खास विशेषताएं
1. आपात स्थिति में बिना किसी जवान की जान जोखिम में डाले लॉन्च पैड, दुश्मन के ठिकानों और घुसपैठ कर रहे दुश्मनों का कर सकता है सफाया
2. अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों के अलावा ऊंचाई पर भी करेगा काम
3. एक बार में 30 किलोमीटर की उड़ान भरने में सक्षम
4. त्वचा को ट्रेस करने के बाद करेगा दुश्मन का अंत
5. पैराशूट रिकवरी सिस्टम से सुरक्षित वापसी भी संभव
6. यह डे और नाइट विजन कैमरे से लैस है