ब्लिट्ज ब्यूरो
सिंधवा। राम सबके हैं। वह धर्म और मजहब की दीवारों से उठकर हैं। इसे साबित किया है मुंबई की शबनम ने, जो रामलला के दर्शन करने मुंबई से पैदल ही 1425 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़ी हैं। उनकी भक्ति की राह में उसका मुस्लिम होना रोड़े नहीं बन सका है। शबनम ने ऐसा कर कठमुल्लेपन का लबादा ओढ़े कइयों को नई राह दिखाई है।