विनोद शील
नई दिल्ली। हाल ही में आईं कुछ रिपोर्टों ने भारत के लिए आर्थिक विकास के मोर्चे पर बेहतरीन परिदृश्य वाली गुड न्यूज दी है। ये रिपोर्टें यह संकेत देती हैं कि देश का विकास और आर्थिक प्रगति सही दिशा की ओर बढ़ रही है। आंकड़े भी इस बात के साक्ष्य दे रहे हैं। इनमें देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पीएमआई डेटा, जीएसटी के कलेक्शन में रिकॉर्ड वृद्धि के आंकड़े भी शामिल हैं। अमेरिकी फर्म मॉर्गन स्टेनली के अलावा मल्टीनेशनल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ग्रुप व ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट भी भारत की प्रगति की ओर ही इंगित करते हैं। ये आंकड़े और रिपोर्टें बताती हैं कि भारत शीघ्र ही एशिया के साथ-साथ दुनिया का भी नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है। विश्व आर्थिक मंच ने भी भारत की आर्थिक विकास यात्रा की सराहना की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यों से दस साल से भी कम समय के छोटे से काल में भारत ने वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। आज एशिया और वैश्विक वृद्धि में भारत एक अहम रोल निभाने को तैयार है। विनिर्माण गतिविधियों, कृषि, खनन, निर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन एवं निजी निवेश के दम पर देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद यानी कि जीडीपी 7.2 फीसदी के दर से बढ़ी है। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चीन की 4.5 फीसदी की वृद्धि दर से काफी आगे निकल गई है । जीडीपी में 7.2 फीसदी की वृद्धि को भारतीय अर्थव्यवस्था के परिवेश में उम्मीद से बढ़कर कहा जा रहा है।
– आज का भारत 2013 से बिल्कुल अलग
– जीडीपी 7.2 फीसदी की दर से बढ़ी
– अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर
– अनेक क्षेत्रों में तेज वृद्धि, मंदी के लिए ‘नो चांस’
– सरकार के प्रबंध कौशल का चौतरफा असर
– प्रति व्यक्ति आय बढ़ी व आगे और भी बढ़ेगी
अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मोर्गन स्टेनली ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2013 की तुलना में आज का भारत बिल्कुल अलग है। ‘इंडिया इक्विटी स्ट्रैटेजी एंड इकॉनोमिक्स: हाउ इंडिया हैज ट्रांसफॉर्म्ड इन लेस देन ए डैकेड’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहती है कि भारत द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों के कारण 10 बड़े बदलाव देखने को मिले जिनका प्रभाव माइक्रो और मैक्रो इकोनॉमी और बाजार पर साफ दिख रहा है। भारत को लेकर कोई भी संदेह, विशेष रूप से विदेशी निवेशकों के मामले में, 2014 के बाद से हुए उल्लेखनीय बदलावों को नजरअंदाज करने जैसा है।
क्या हैं 10 बड़े बदलाव
मोदी सरकार के सुधारों का लोहा मानते हुए मोर्गन स्टेनली ने इस रिपोर्ट में दस बड़े बदलावों का जिक्र किया है जिनमें प्रमुख हैं-सप्लाई साइड पॉलिसी रिफॉर्म, फॉर्मलाइजेशन ऑफ इकॉनोमी, रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, डिजिटलाइजिंग सोशल ट्रांसफर्स और इन्सोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड। सप्लाई साइड रिफॉर्म आंकड़े पेश करते हुए रिपोर्ट में भारत के कॉर्पोरेट टैक्स का भी जिक्र है। जहां तक आधारभूत संचरनाओं के विकास की बात है तो इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्गों, ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर बेस, नवीकरणीय ऊर्जा और रेलवे रूट्स का विद्युतीकरण करने की बात भी कही गई है। इसके अलावा लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण, एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना, भारत का 401 (के) मूवमेंट, कॉरपोरेट मुनाफे के लिए सरकारी समर्थन और बहु-वर्षीय उच्च स्तर पर एमएनसी सेंटीमेंट्स आदि में बेहतरीन प्रदर्शन का भी जिक्र किया गया है। इसमें जीएसटी संग्रह को भी आधार बनाया गया है जिसमें पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई। वहीं डिजिटल लेनदेन भी अब सकल घरेलू उत्पाद का 76 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
भारत में विनिर्माण और कैपेक्स क्षेत्र में मॉर्गन स्टेनली का 2031 तक 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। निर्यात में हिस्सेदारी दोगुनी होगी और साल 2031 तक यह बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो जाएगा। ये साल 2021 के स्तर से लगभग दोगुना है। इसके अलावा, वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात से भारत को फायदे में रहने की बात कही गई है। इससे भारत का चालू खाता घाटा भी घटेगा। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार भारत में अभी प्रति व्यक्ति आय करीब 2200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 1.82 लाख रुपए) है जो साल 2032 तक बढ़कर 5200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 4.30 लाख रुपए) हो जाएगी जिससे लोगों की खरीद क्षमता बढ़ेगी।
यह कहना समीचीन है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के विशेष प्रबंध कौशल के दम पर भारत ने इस वर्ष कई क्षेत्रों में तेज वृद्धि दर्ज की है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी पिछले दिनों मंदी में फंस चुका है। वहां महंगाई बेतहाशा बढ़ी है। अमेरिका पर पहली बार डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा चुका है। दूसरी तरफ वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं का कहना है कि भारत में मंदी आने की संभावना न के बराबर है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि भारत के ठोस आर्थिक प्रदर्शन के एक और वर्ष की ओर बढ़ने की पूरी आशा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी पिछले दिनों जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने के अनुमान को बरकरार रखा है।
अनुमानित 6.5 फीसदी जीडीपी समान रूप से संतुलित है व चालू वित्त वर्ष में ज्यादा वृद्धि की संभावना है।
‘एशिया इकोनॉमिक्स: द व्यू पॉइंट: एड्रेसिंग द पुशबैक टू ऑवर कंस्ट्रक्टिव व्यू’ नामक एक रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि हम देख रहे हैं कि घरेलू मांग में मजबूत रुझानों को बनाए रखने के लिए अच्छी बैलेंस शीट है। वृहद स्थिरता में सुधार का मतलब है कि आर्थिक वृद्धि जारी रहेगी।
वित्तीय वर्ष 2024 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी बरकरार
वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश में महंगाई का खतरा कम हुआ है।