नई दिल्ली इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कोरोना महामारी के झटकों से दो-चार हुई दुनिया अब भी आर्थिक मोर्चे पर संभलने की राह तलाश रही है। इसके इतर अनेक चुनौतियों के बावजूद भारत के सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बने रहने के संकेत कायम हैं। वैश्विक प्रभावों के विपरीत अपनी स्थितियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नीतिगत फैसलों के जरिए संकट से निपटना इसकी मुख्य वजह है।
अनेक बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो स्थितियां पैदा होती हैं, उनका असर कमोबेश कई देशों पर पड़ता ही है। हालांकि आर्थिक वृद्धि दर के मामले में भारत के रिकार्ड को देखते हुए यह आशा व्यक्त की गई है कि आने वाले दिनों में इसका आंकड़ा छह फीसद से अधिक रहेगा। वैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने अपने एक ताजा आकलन में चालू वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 फीसद से घटा कर 5.9 फीसद कर दिया है पर भारत जिस तरीके से आर्थिक मोर्चे पर डटा है उसको देख कर यह कहा जा सकता है कि भारत की संभावनाएं बेहतर ही रहेंगी।
दुनिया भर में उत्पादन और सेवाओं में उपज रही चुनौतियों के मद्देनजर आर्थिक मोर्चे पर जो उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, उसी के कारण विश्व में मंदी के संकेत भी परिलक्षित हो रहे हैं। आर्थिक मोर्चे पर इस वैश्विक उथल-पुथल से शायद ही कोई देश अछूता रह सके लेकिन जहां तक भारत की बात है, आईएमएफ ने भले ही आंकड़ों में भारत में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की बात तो कही है पर इसके बावजूद उसका कथन है कि दुनिया में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इससे यही तथ्य सामने आता है कि यदि कोई देश मूलभूत रूप से अपनी जमीन मजबूत रखता है तो उसे अचानक उपजे उथल-पुथल का सामना करने में भी उतनी दिक्कतें नहीं आती हैं।
हमें यह भी ध्यान रखना है कि रोजगार के मोर्चे पर मौजूदा स्थिति और बेहतर बने। बड़ी तादाद में लोगों की क्रयशक्ति में गिरावट न आए। हालांकि विश्व मंदी का शिकार है और इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ना स्वाभाविक है। अत: अर्थव्यवस्था को भी मंदी के प्रभाव से बचाने के लिए हर स्तर पर निगरानी के साथ नीतियों को लागू करना होगा। आईएमएफ और विश्व बैंक के 2023 में भारत के सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के अनुमानों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कायम रहेगी। उन्होंने हाल ही में 15 अप्रैल को आईएमएफ मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति की पूर्ण बैठक में यह बात कही है।
सीतारमण ने बैठक में कहा कि संरचनात्मक सुधारों पर सरकार के ध्यान के साथ-साथ एक अनुकूल घरेलू नीति परिवेश ने भी भारत में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को मजबूत बनाए रखा है। सीतारमण ने महामारी से मिले इस सबक पर भी रोशनी डाली कि डिजिटलीकरण, खासकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक उत्प्रेरक रहा है और भारत के डीपीआई ने किस तरह से पहुंच में क्रांति ला दी है और एक जीवंत उद्यमशील ईको सिस्टम का निर्माण किया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डिजिटलीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अतुलनीय गति प्रदान की है। भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम का आज डंका बज रहा है और चीन भी कई मामलों में हमसे पीछे है। आज सड़क के सिगनल पर फूल बेचने वाला भी डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल कर पेमेंट ले रहा है। डिजिटल वॉलेट पेमेंट के क्षेत्र में भारत ने एक लंबी छलांग मारी है।
भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि भारत डिजिटलीकरण के दम पर अपने नागरिकों का जीवन बदलने में सक्षम है। यह अधिक उत्पादक रूप से कुशल अर्थव्यवस्था के निर्माण के योग्य है। अखिल भारतीय प्रबंध संघ के 8वें राष्ट्रीय नेतृत्व सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत अपनी डिजिटल बदलाव की कहानी को बाकी दुनिया तक पहुंचाने के लिए जी20 का इस्तेमाल करेगा।