दीपक द्विवेदी
नई दिल्ली। देश में पांचवें चरण के मतदान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अश्वमेध अभियान दो तिहाई बहुमत से आगे निकल जाएगा। 20 मई को पांचवें चरण के उत्साही मतदान के उपरांत सूरज के उजाले के सच की तरह मोदी की विजय निश्चित है और 18वीं लोकसभा में दुनिया भारत को एक नई मजबूती के साथ देखेगी। आने वाला समय विश्व को दिखाएगा कि भारतीय लोकतंत्र की जड़ें इतनी मजबूत और गहरी हैं कि उनको हिलाना तो दूर, अस्थिर करने के बारे में सोचना भी अब एक मानसिक कल्पना मात्र ही होगी।
चुनाव के हर दौर की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन शनै:-शनै: प्रचंड जीत की ओर अग्रसर हो रहा है। एक जून को होने वाले सातवें एवं अंतिम चरण की 57 सीटों के चुनाव में भी भाजपा और उसके गठबंधन को भारी बढ़त मिलती दिख रही है। लोकतंत्र, गणतंत्र और जनता जनार्दन; सभी को 4 जून का बेसब्री से इंतजार है। इस दिन चुनावों के नतीजे आने वाले हैं। एक ओर जहां लड्डुओं, मिठाइयों और पटाखों की तैयारियां सारे देश में जोर-शोर से चल रही हैं। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों की जीत-हार पर सट्टा लगाने वालों की मुश्किलें भी बढ़ने की बड़ी खबरें आ रही हैं। इस क्षेत्र के धुरंधरों का मानना है कि चुनावी उत्सव में सट्टाबाजार को बड़ा झटका लग सकता है। कहा जा रहा है कि अफसरों, नेताओं और सटोरियों का बहुत मोटा पैसा दांव पर लगा हुआ है।
एक शर्त, मोदी की हार और जीत की है तो दूसरी शर्त, मोदी 303 पार करेंगे या नहीं? दोनों ही शर्तों ने सट्टा और शेयर बाजार में चुनावी आकलन करने वालों की जान सांसत में डाल रखी है। एक वर्ग का कथन है कि जीत मोदी की हो रही है और हार चाहने वाले सट्टेबाजों का पैसा डूब रहा है। ज्योतिषियों से लेकर राजनीतिक पंडितों तक का गणित फेल होता नजर आ रहा है। देश में आज कोई भी यह बताने को राजी नहीं है कि सट्टे की किस लाइन पर दांव लगाया जाए और कौन से शेयर खरीदे जाएंं? मोदी की जीत पर सट्टेबाज़ों के अकूत पैसों के डूबने की आशंका से सटोरियों में मातमी माहौल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि सट्टेबाजी का बाजार आज की भीषण गर्मी से भी ज़्यादा गर्म है। देश और दुनिया के ज्योतिषियों के मुंह पर ताला लगा हुआ है और वे कोई भी भविष्यवाणी करने से बच रहे हैं। ऐसी स्थिति में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी के मन में कितनी बेचैनी होगी? इस बीच गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी देशवासियों और आर्थिक बाजार वालों काे साफ कर दिया है कि चुनाव के माहौल में मार्केट में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है लेकिन सभी आश्वस्त रहें कि बाजार चार जून के बाद आसमान छूने वाला है जिससे देशवासियों, आर्थिक बाजार से जुड़े और स्थिर सरकार चाहने वाले लोगों को बहुत ही ज्यादा संतुष्टि मिलने वाली है। यानी मजबूती का दांव ही और मजबूत होगा।
भारत में हिंदू-मुस्लिम का भेद नहीं : मोदी
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि मेरा मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ है। मैं वोट बैंक के लिए काम नहीं करता। पीएम मोदी ने वाराणसी में नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया समूहों को दिए इंटरव्यू में कहा, मैंने हिंदू-मुसलमानों को हमेशा एक नजर से देखा है। मैं कभी भी हिंदू और मुसलमान को बंटने नहीं दूंगा।
पीएम मोदी ने बताया कि उनका बचपन मुस्लिम परिवारों के बीच ही बीता है। मेरे बहुत सारे मुस्लिम दोस्त हैं। 2002 के बाद मेरी छवि को खराब करने की कोशिश हुई। ईद के मौके पर मुस्लिम पड़ोसियों के यहां से ही खाना आया करता था। यहां तक कि मुहर्रम पर हमें ताजिया करना भी सिखाया गया था। अहमदाबाद में मानेक चौक नाम की जगह पर उन्होंने एक सर्वे कराया था। जहां सभी व्यापारकर्ता मुस्लिम हैं और खरीदार हिंदू हैं।
अधिक बच्चों को जन्म देने वाले बयान के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं हैरान हूं, मुझे समझ नहीं आता है कि जब मैं लोगों से यह अपील करता हूं कि वो अधिक बच्चे पैदा न करें तो लोग ऐसा क्यों समझते हैं कि मैं मुस्लिमों की बात कर रहा हूं। अधिक बच्चों का कारण गरीबी होती है। मैंने कभी भी हिंदू या मुस्लिम का नाम नहीं लिया है।


















