ब्लिट्ज ब्यूरो
पिथौरागढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड का दौरा किया। सबसे पहले वे आदि कैलाश और पार्वती कुंड के दर्शन करने पहुंचे। पार्वती कुंड से ही उन्होंने आदि कैलाश के दर्शन किए और ध्यान लगाया। इसके बाद पूजा-पाठ किया।
पीएम मोदी ने दौरे की तस्वीरें अपने तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करते हुए लिखा कि उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पवित्र पार्वती कुंड में दर्शन और पूजन से अभिभूत हूं। यहां से आदि कैलाश के दर्शन से भी मन प्रसन्न है। प्रकृति की गोद में बसी अध्यात्म और संस्कृति की इस स्थली से उन्होंने सभी के सुखमय जीवन की कामना की। पीएम मोदी इस दौरान स्थानीय भोटिया जनजाति की सफेद पगड़ी और रंगा (ओवरकोट) पहने नजर आए। पीएम मोदी का यह अंदाज सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है।
ग्रामीणों से संवाद, जवानों का बढ़ाया हौसला
पीएम मोदी ने आदि कैलाश के दर्शन करने के बाद गुंजी गांव का दौरा किया, जहां वे स्थानीय लोगों से मिले और पारंपरिक कला व कलाकृतियों की प्रदर्शनी में शामिल हुए। सेना व इंडो-तिब्बत बॉर्डर-पुलिस (आईटीबीपी), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जवानों से भी पीएम मिले।
– उत्तराखंड को 4,200 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात
2024 में विजयी होकर फिर दर्शन करने आऊंगा
पीएम ने अल्मोड़ा के 6,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित जागेश्वर धाम में भी पूजा-पाठ किया। कहा-2024 में विजयी होकर फिर दर्शन करने आऊंगा।
दुनिया में मजबूत हो रही भारत की आवाज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और नेपाल सीमा से लगे पिथौरागढ़ से हुंकार भरकर कई संदेश एक साथ दिए। उन्होंने कहा, भारत की ताकत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है। यह नया भारत है। हम न डरते हैं, न डराते हैं। विदेश के बड़े-बड़े नेताओं से हाथ मिलाते समय आंख भी मिलाते हैं। सीमावर्ती गांवों के विकास को प्राथमिकता बताते हुए पीएम ने कहा, पिछली सरकारें इन्हें अंतिम गांव मानती थीं, हम इन्हें पहला गांव मानते हैं। मोदी ने कहा, सीमावर्ती क्षेत्रों में नौ वर्षों में 4200 किमी सड़कों के निर्माण से सीमा पर पहुंचना सुगम हुआ है। उन्होंने 4,200 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया।
धार्मिक यात्रा के जरिये चीन को हद में रहने का संदेश
चीन की सीमा से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदि कैलाश की यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री है। उनकी यह यात्रा न केवल कुमाऊं के लिए बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण रही।