ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2,000 से अधिक नियमों और कानूनों को खत्म कर दिया गया।
यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जितेंद्र सिंह ने कहा कि, पहले की सरकारों के विपरीत, जो यथास्थितिवादी दृष्टिकोण में आराम पाती थीं, पीएम मोदी ने ऐसे नियमों को दूर करने का साहस दिखाया था जो लोगों के लिए असुविधा का कारण बन रहे थे। उन्होंने कहा कि वे कानून ब्रिटिश राज के समय से चल रहे थे लेकिन उनकी कोई उपयोगिता नहीं थी। व्यवस्था, प्रक्रिया पर वे कानून बोझ थे और सामान्य जन की असुविधा का कारण बने हुए थे। उन्होंने कहा कि सुशासन का अंतिम उद्देश्य नागरिकों के जीवन को सुगम बनाना है।
मंत्री ने याद दिलाया कि मई 2014 में सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद, राजपत्रित अधिकारियों से प्रमाणित प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रथा को दो से तीन महीने के भीतर समाप्त कर दिया गया था।
उसके बाद एक साल के भीतर ही प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से नौकरी की भर्ती में साक्षात्कार को समाप्त करने के बारे में बात की ताकि एक समान अवसर प्रदान किया जा सके। अधिकांश कामकाज को ऑनलाइन में परिवर्तित कर दिया गया था और पारदर्शिता, जवाबदेही व नागरिक भागीदारी लाने के लिए मानव इंटरफ़ेस को न्यूनतम कर दिया गया था।
शिकायत निवारण के बारे में बात करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि शिकायत निवारण तंत्र को केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप सिर्फ 2 लाख की तुलना मेंअब हर साल लगभग 20 लाख शिकायतें प्राप्त होती हैं।