आस्था भट्टाचार्य
बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में तेजस फाइटर प्लेन में उड़ान भरी। पीएम ने कहा- तेजस में सफलतापूर्वक सॉर्टी की। ये गजब का अनुभव रहा। इस उड़ान से मेरे अंदर देश की स्वदेशी क्षमताओं पर भरोसा और बढ़ गया है।
पीएम ने ये भी लिखा- मैं आज तेजस में उड़ान भरते हुए अत्यंत गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमारी मेहनत और लगन के कारण हम आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में विश्व में किसी से कम नहीं हैं। भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ और एचएएल के साथ ही समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
तेजस में उड़ान भरने से पहले मोदी बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) भी पहुंचे थे। तेजस को एचएएल ने डेवलप किया है। यह सिंगल इंजन वाला हल्का लड़ाकू विमान है। वायुसेना में इसकी दो स्क्वॉ़ड्रन शामिल हो चुकी हैं।
इन दिग्गजों ने भी लड़ाकू विमान में उड़ान भरी
निर्मला सीतारमण: निर्मला सीतारमण ने बतौर रक्षा मंत्री 17 जनवरी 2018 को राजस्थान में सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी। वह पायलट का जी-सूट पहनने और पीछे की सीट पर बैठने वाली देश की पहली महिला रक्षा मंत्री बनी थीं।
प्रतिभा पाटिल : पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 25 नवंबर 2009 को सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरने वाली पहली महिला राष्ट्र प्रमुख बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने 74 साल की उम्र में पुणे में वायुसेना बेस से फ्रंटलाइन सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू जेट विमान में सुपरसोनिक स्तर के करीब 30 मिनट की उड़ान के लिए उड़ान भरी थी।
एपीजे अब्दुल कलाम : एपीजे अब्दुल कलाम 8 जून 2006 को भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई पर 30 मिनट की उड़ान भरने वाले पहले राष्ट्रपति थे। उन्होंने सुपरसोनिक गति से उड़ान भरते हुए कॉकपिट में लगभग 40 मिनट बिताए।
राष्ट्रपति मुर्मू की सुखोई जेट में 30 मिनट की उड़ान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 7 अप्रैल को असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से सुखोई 30 एमकेआई फाइटर जेट में 30 मिनट की सॉर्टी की। सुखोई जेट ने सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर टेक ऑफ किया। और 11 बजकर 38 मिनट पर लैंड किया। सुखोई में उड़ान भरने वाली वे देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं।
अब देश में ही बनेंगे एलसीए के इंजन
हल्के लड़ाकू विमान एलसीए मार्क 2 (तेजस एमके 2) और स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) की पहली दो स्क्वॉड्रन के इंजन अब देश में ही बनेंगे। भारत में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने बताया कि अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड मिलकर ये इंजन बनाएंगी। अमेरिका से इसकी सभी मंजूरी मिल गई है।