संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। पीएम मोदी की पहली यात्रा में मिस्र और भारत द्विपक्षीय रिश्ते की नई इबारत लिखेंगे। पीएम के दो दिवसीय दौरे में दोनों देश व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर मुहर लगाने के साथ रणनीतिक भागीदारी बढ़ाने पर भी सहमति दे सकते हैं। सब तय योजना के मुताबिक हुआ तो मिस्र भारतीय मुद्रा में जरूरी चीजों का आयात कर सकता है। दरअसल वर्तमान परिस्थितियों में दोनों देशों को एक दूसरे की मदद की जरूरत है।
सैन्य ताकत बनने का इच्छुक मिस्र भारत से सैन्य हेलिकॉप्टर, तेजस लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल सहित कई दूसरे सैन्य उपकरण चाहता है। मिस्र भारत से तकनीकी शिक्षा के मामले में भी मदद चाहता है। दूसरी ओर चीन से आयात कम करने की योजना पर काम कर रहा भारत मिस्र से खाद के अलावा गैस की आपूर्ति बढ़ाना चाहता है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अलसीसी चाहते हैं कि दोनों देशों का व्यापार सालाना 12 अरब डॉलर तक पहुंचे।
मिस्र भारत के लिए अहम क्यों?
मिस्र पश्चिम एशिया की बड़ी ताकत के अलावा इस्लामी दुनिया की तटस्थ और मजबूत आवाज है। ऐसे में इस्लामी देशों में पैठ के साथ पश्चिम एशिया की ताकत मिस्र को साध कर भारत की ग्लोबल साउथ की आवाज बनने की रणनीति भी परवान चढ़ सकती है।
इसलिए सतर्क हुआ भारत
मिस्र ने कश्मीर में हुई जी-20 वर्किंग ग्रुप की बैठक से दूरी बना ली थी। बैठक से दूरी बनाने वालों में चीन, तुर्की और सऊदी अरब भी शामिल थे। सरकारी सूत्रों ने कहा कि मिस्र ब्रिक्स का सदस्य बनने का इच्छुक है। भारत इसमें उसका सहयोग करेगा। प्रधानमंत्री मोदी 24 से 25 जून तक मिस्र की राजकीय यात्रा पर काहिरा जाएंगे। मोदी मिस्र के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर यह यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने इसी साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी।