ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। जाने–माने गांधीवादी‚ विचारक एवं लेखक डा. अनिल दत्त मिश्र ने सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और वर्तमान भारत के इतिहास पुरुष डा. बिंदेश्वर पाठक पर ‘मानवतावादी डा. बिंदेश्वर पाठक’ नामक किताब संपादित कर स्वच्छता के दूत का संदेश हर किसी तक पहुंचाने की सार्थक कोशिश की है।
डा.बिंदेश्वर पाठक ने व्यक्ति‚ समाज एवं राष्ट्र को नई दिशा अपने कर्म‚, वचन और विजन से दी है। यह पुस्तक गांधी के सपनों को पूरा करने वाले डा. पाठक के दर्शन‚, संघर्ष एवं कार्य की गांधीवादी लेखकों द्वारा की गई व्यापक मीमांसा है। पुस्तक डा. पाठक के जीवन‚ कार्य एवं विचारों को साहित्यकारों‚, बुद्धिजीवियों‚, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं सामान्य सुधिजनों तक पहुंचाने के लिए लिखी गई है। सुलभ एक विचार के साथ आंदोलन भी है।
स्वातंत्रयोत्तर भारत के महान समाजसेवियों में से एक डा. पाठक को वृंदावन की माताएं प्यार से ‘लाल बाबा’ के नाम से पुकारती हैं। वैसे डा. पाठक को लोग ‘टॉयलेटमैन’ के रूप में भी जानते हैं। उनका जीवन संवाद का जीवन है। वह अपने आपसे संवाद करते हैं‚, अपनी लय से संवाद करते हैं‚, अपनी कृतियों से अपनी रचनाओं से संवाद करते हैं। डा. पाठक नहीं होते तो सुलभ नहीं होता‚, सुलभ नहीं होता तो आज भारत स्वच्छ नहीं होता। गांधी जी ने जो स्वप्न देखा उसे डा. पाठक ने पूरा किया। वे न्यायप्रिय‚ समतामूलक‚ जातिविहीन‚ समाज के निर्माण के लिए कृतसंकल्प हैं। सुलभ नैतिकता का आंदोलन है। उनका नारा है ‘साथ मिलकर आगे बढ़ें’।
डा. पाठक आज स्वच्छ भारत के पर्याय हैं। उन्होंने स्वच्छता अभियान की शुरुआत सुलभ शौचालय की स्थापना के साथ ही कर दी थी और इसका असर धीरे–धीरे समाज में दिखने भी लगा है। इस पुस्तक में वास्तव में डा. पाठक की लक्ष्य पाने की जिजीविषा, ईमानदारी‚, साहस‚, प्रतिबद्धता और राष्ट्रीयता के प्रतीक का स्वरूप देखने को मिलता है। विचार तात्कालिक हैं लेकिन उनका प्रभाव अनंतकालिक एवं सार्वभौमिक है। डा. पाठक ने दुनिया के सामने स्वच्छता का अनूठा उदाहरण पेश किया है। अपने जीवनकाल में सत्य‚ अहिंसा और त्याग के मार्ग पर चलने वाले डॉ. पाठक का कृतित्व उन्हें वर्तमान में मानवता के अग्रदूत के रूप में स्थापित करता है। निश्चित ही हमारी पीढ़ी अपने समय के नायक के बारे में पढ़कर गौरवान्वित होगी। यह पुस्तक सभी को प्रेरित करेगी। जरूरत इस बात की है कि डा. बिंदेश्वर पाठक से प्रेरित होकर महात्मा गांधी के अन्य मूलभूत सूत्रों के ध्वजवाहक भी संकल्पित होकर दिशा संधान करें ताकि इस शताब्दी का रोशन भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित हो सके।
बिहार के आरा से 1970 से सुलभ ग्राम से शुरू हुई यह यात्रा आज भी जारी है। सुलभ से सीधे तौर पर 65 हजार कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं‚ जो दिन–रात भारत को स्वच्छ रखने एवं नवभारत के निर्माण में लगे हुए हैं। आज दस करोड़ लोग सुलभ शौचालय का प्रयोग करते हैं। डा. पाठक ‘न्यूयार्क ग्लोबल लीडर्स डायलॉग ह्यूमेनिटेरियन अवार्ड’ पाने वाले पहले भारतीय हैं।
‘पदमभूषण’ सम्मान‚, प्रियदर्शनी पुरस्कार‚, ‘गांधी शांति पुरस्कार’ पाने वाले डा. पाठक को 2016 में न्यूयार्क के मेयर बिल द ब्लास्यो ने उनके काम को देखते हुए अनोखा सम्मान दिया‚ जिस पर सभी भारतीयों को गर्व होगा। डा. पाठक के सम्मान में न्यूयार्क के मेयर ने 14 अप्रैल‚ 2016 को ‘बिंदेश्वर पाठक दिवस’ के रूप में मनाया। यह डा. बिंदेश्वर पाठक के लिए ही नहीं‚ बल्कि पूरे देशवासियों के लिए गौरव की बात है।