दीपक द्विवेदी
77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विभिन्न मुद्दों पर बात की। देशवासियों की चेतना में नए प्राण फूंकने वाले अपने संबोधन में देश को विकसित बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। अपने भाषण में पीएम मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं और भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बात की। इन्हीं में से दो योजनाएं ऐसी हैं जो देश के कमजोर तबकों की उन्नति में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। साथ ही भाजपा सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधन के दौरान ‘न्यू इंडिया’ का खाका खींचते हुए दो नए नारे दिए थे। इनमें पहला था ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जिसमें अब ‘सबका प्रयास’ का भी नारा उन्होंने जोड़ दिया । वहीं, दूसरा नारा था ‘यही समय है..सही समय है’। पीएम मोदी सही मायनों में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास के अपने नारे को साकार करने में इसी मनोयोग के साथ जुटे हुए हैं और उनका कहना है कि हम सब भारतवासियों को अंत्योदय के कार्य में इसी भावना के साथ जुटना होगा। उनका मत है कि सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास ही हमारे हर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही सबसे पहले अंत्योदय का नारा दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ की घोषणा की थी जिसे 25 सितंबर 2015 से आधिकारिक तौर पर हर साल मनाया जा रहा है। सबके प्रयास और सबके साथ से ही हम, सबका विकास कर सकते हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले हुनरमंद लोगों को प्रोत्साहन और मदद देने की आवश्यकता दीर्घ काल से उठाई जाती रही है। ऐसे कारीगर जो पारंपरिक पेशों से जुड़े हुए हैं, हाथ से काम करते हैं और भारतीय शिल्प को संरक्षित एवं जीवंत रखने में अपना योगदान दे रहे हैं, उनकी मदद के लिए अब केंद्र ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत ऐसे लोगों को वित्तीय मदद पहुंचाने, पहचान प्रतिष्ठित करने और उनके हुनर को बाजार में जगह दिलाने की पहल की है। इस योजना के तहत पांच फीसद ब्याज पर एक लाख और फिर अगले चरण में अधिक धन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। अगले महीने विश्वकर्मा जयंती के मौके पर इस योजना को लॉन्च किया जाएगा। यह योजना पारंपरिक कौशल वाले लोगों के लिए लाई जाएगी। सरकार 13 हजार से 15 हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करेगी। गांव, शहरों में विभिन्न कारीगर हैं जो अपने हाथ के कौशल से जीवन यापन करते हैं। यह योजना विशेष रूप से इन्हीं लोगों जैसे नाई, धोबी, सुतार, राजमिस्त्री आदि पारंपरिक कौशल कार्य करने वाले लोगों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए लाई जाएगी। इस योजना के तहत सरकार पारंपरिक कौशल वाले कारीगरों और शिल्पकारों को तराशेगी और उत्पादों में सुधार करके उन्हें घरेलू और वैश्विक मार्केट से जोड़ा जाएगा। आज के विश्वकर्मा, कल के उद्यमी बन सकते हैं।
यह योजना श्रमिकों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े समुदाय, महिलाओं और समाज के अन्य कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए लाई गई है। इस वर्ग का पूरे देश में बड़ा वोटबैंक है। ऐसे में विश्वकर्मा योजना की सफलता भाजपा सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा फायदा भी दे सकती है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में एक और अहम योजना का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार जल्द ही हजारों महिला-नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों को कृषि ड्रोन प्रदान करने के लिए योजना शुरू करेगी। महिलाओं को ड्रोन उड़ाने के साथ-साथ उनकी मरम्मत करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना से बड़ा परिवर्तन आएगा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह योजना बेहद अहम साबित हो सकती है। शुरुआत में योजना 15 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच शुरू की जाएगी। देश में करीब 10 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास देश को आगे लेकर जाएगा। उनका सपना है कि दो करोड़ महिलाएं लखपति बनें और सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तमाम उपायों पर विचार कर रही है।इस योजना से न सिर्फ महिला सशक्तिकरण होगा बल्कि भाजपा सरकार का एक बड़ा समर्थन वर्ग भी तैयार हो सकता है। बस अब अवश्यकता इस बात की ही है कि इन योजनाओं को मास्टर स्ट्रोक बनाने के लिए संजीदगी के साथ जमीन पर उतारा जाए।