ब्लिट्ज ब्यूरो
गांधीनगर। काशी विश्वनाथ (वाराणसी), महाकाल लोक (उज्जैन) और मथुरा कॉरिडोर (मथुरा) के बाद अब द्वारका (गुजरात) में देवभूमि कॉरिडोर बनाने की तैयारी है। केंद्र सरकार इसे पश्चिम भारत का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बनाने जा रही है। गुजरात के सबसे बड़े धार्मिक प्रोजेक्ट से न सिर्फ द्वारका की सूरत बदलेगी, बल्कि शिवराजपुर समुद्री इलाके को भी डेवलप किया जाएगा।
द्वारकाधीश की मूर्ति : भगवान द्वारकाधीश के रूप वाली 108 फुट की मूर्ति बनेगी। इसे कृष्ण की सबसे ऊंची मूर्ति बताया जा रहा है। यह गोमती के किनारे पंचकुई क्षेत्र में बनेगी। जन्माष्टमी पर भूमिपूजन होगा। मूर्ति पर द्वारका का इतिहास, संस्कृति और धार्मिक महत्व बताने के लिए साउंड एंड लाइट शो होगा।
जन्माष्टमी से कॉरिडोर पर काम : द्वारका-पोरबंदर-सोमनाथ लिंक प्रोजेक्ट भी शुरू होगा। पोरबंदर सुदामा की जन्मस्थली है, जबकि सोमनाथ के पास श्रीकृष्ण ने देह त्यागी थी। द्वारका से 13 किमी दूर शिवराजपुर बीच व 23 किमी दूर ओखा बीच की सूरत बदलने का प्लान है। जन्माष्टमी (6-7 सितंबर) से द्वारका देवभूमि कॉरिडोर का काम शुरू होगा।
द्वारका को जोड़ेगा रामसेतु सिग्नेचर ब्रिज
ओखा से बेट द्वारका को जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज तैयार हो रहा है। 2320 मीटर लंबे इस फोर लेन ब्रिज को देश का सबसे लंबा केबल स्टे ब्रिज कहा जाता है। इस पर 870 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
द्वारकाधीश मंदिर से सभी मंदिरों को जोड़ा जाएगा
महाकाल लोक की तर्ज पर द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर से लेकर बेट द्वारका और ज्योतिर्लिंग नागेश्वर तक सभी मंदिरों को जोड़ा जाएगा। इनमें द्वारकाधीश मंदिर, रुक्मिणी-बलराम मंदिर, सांवलियाजी मंदिर, गोवर्धन नाथ मंदिर, महाप्रभु बैठक, वासुदेव, हनुमान मंदिर से लेकर नारायण मंदिर तक शामिल हैं।
ऋषि दुर्वासा का वृक्ष, गोपी तालाब की सूरत बदलेगी
लक्ष्मीनारायण मंदिर के आंगन में ऐतिहासिक पेड़ है। कहा जाता है यहां ऋषि दुर्वासा ने तपस्या की थी। पर्यटकों के लिए यह पेड़ आकर्षण बनेगा। गोपी तालाब भी रेनोवेट होगा। यही वह दिव्य स्थान है, जहां महाभारत के बाद सभी गोपियां समा गई थीं। इसी तालाब की मिट्टी को गोपी चंदन कहा जाता है।
बेट द्वारका में गैलरी बनेगी
बेट द्वारका आईलैंड को विश्वस्तर का बनाने की तैयारी है। पहले फेज पर 138 करोड़ रु. खर्च होंगे। यहां इको टूरिज्म, वाटर स्पोर्ट्स, मरीन इंटरप्रिटेशन सेंटर, लेक फ्रंट, डॉल्फिन व्यूइंग गैलरी समेत कई प्रोजेक्ट शुरू होंगे। डूबी द्वारका नगरी देखने के लिए विशेष गैलरी बनेगी।