ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्वतंत्रता दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में तिरंगे के गौरव पर प्रकाश डालने के साथ मनमानी गिरफ्तारी, ध्वस्तिकरण और गैरकानूनी तरीके से संपत्ति कुर्क करने के मुद्दे पर न्यायपालिका और न्यायाधीशों की भूमिका पर भी अपनी राय रखी।
कार्यक्रम में सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बतौर विशेष अतिथि मंच पर मौजूद थे। अपने भाषण में सीजेआई ने बिना किसी खास केस का नाम लिए, मनमानी गिरफ्तारियों और घर/प्रॉपर्टी गिराने की धमकियों का संदर्भ दिया। उन्होंने कहा, किसी मामले का नतीजा चाहे जो भी हो, सिस्टम (न्याय व्यवस्था) की ताकत इसी में है कि वह न्याय सुनिश्चित कर सके। किसी व्यक्ति में यह विश्वास होना चाहिए कि अगर मनमाने ढंग से उसकी गिरफ्तारी होती है, विध्वंस की धमकी दी जाती है या गैरकानूनी तरीके से संपत्ति कुर्क की जाती है तो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से उसे दिलासा मिलेगा और उसकी बात सुनी जाएगी। यह आत्मविश्वास ही न्यायपालिका की ताकत है।
सीजेआई ने कहा कि पिछले 76 साल का भारतीय न्यायपालिका का इतिहास आम लोगों के रोजाना के संघर्षों का इतिहास है। मेरा मानना है कि न्यायपालिका की चुनौती न्याय मिलने की बाधाओं को खत्म करने की है। यह सुनिश्चित करने के लिए हमें एक रोडमैप बनाना है कि न्यायपालिका समाज के अंतिम आदमी तक पहुंचे और समावेशी बने।
मुख्य न्यायाधीश ने संवैधानिक लोकतंत्र के विकास में मीडिया, नौकरशाही, राजनीतिक दलों और इसके अलावा सीजेआई ने तिरंगे को भारतीयों के संघर्ष और उनकी चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा, आज 76 साल बाद हमारा तिरंगा स्वतंत्रता और समानता की हवाओं में लहराता है। कभी ऐसा आता है जब हवा रुक जाती है, कभी आसमान में तूफान आ जाता है लेकिन तिरंगा हमारी सामूहिक विरासत का प्रतीक बनकर हमारे भविष्य की आकांक्षा का मार्गदर्शन करता है। न्यायिक बुनियादी ढांचे को जल्द से जल्द दुरुस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त कोर्ट रूम और अन्य सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। एक नई इमारत भी बनाने की योजना है।