ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीश यद्यपि निर्वाचित नहीं होते लेकिन उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्यायपालिका के पास प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से बदल रहे समाज के विकास में ‘प्रभाव को स्थिर’ करने की क्षमता होती है। सीजेआई सामान्य तौर पर की जाने वाली उस आलोचना का जवाब दे रहे थे कि निर्वाचित नहीं होने वाले न्यायाधीशों को कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह बात जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वाशिंगटन और सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एसडीआर), नई दिल्ली द्वारा आयोजित तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानूनी चर्चा में कही। चर्चा का विषय भारत और अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम हर पांच साल में लोगों के पास वोट मांगने नहीं जाते लेकिन इसका एक कारण है। मेरा मानना है कि इस अर्थ में न्यायपालिका हमारे समाज के विकास में प्रभाव को स्थिर करने वाली है, विशेष तौर पर तब, जब यह प्रौद्योगिकी के साथ बहुत तेजी से बदल रहा है।
न्यायाधीश ऐसी आवाज होते हैं, जो समय के उतार चढ़ाव से परे होती है और अदालतों के पास समाज में प्रभाव को स्थिर करने की क्षमता होती है। सीजेआई ने कहा कि अदालतें नागरिक समाज और सामाजिक परिवर्तन के लिए सम्मिलन का केंद्र बिंदु बन गई हैं।