ब्लिट्ज ब्यूरो
मेरठ। शहर के शताब्दीनगर निवासी जीवन सिंह बिष्ट रिटायर हो चुके हैं, लेकिन कुछ हटकर करने का उनका जुनून बरकरार है। कुछ कर दिखाने के जज्बे के कारण उनका नाम एशिया बुक आफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक और लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में शामिल है। अब उनकी नए रिकाॅर्ड पर नजर है।
आयकर विभाग से सेवानिवृत्त जीवन सिंह बिष्ट 64 वर्ष के हैं। मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के गांव चापड़ के निवासी हैं। बताते हैं कि वर्ष 1990 में उनके मन में कुछ अनूठा करने का विचार आया। उन्होंने प्रमुख घटनाओं वाले समाचार पत्रों के अंक, नोट, सिक्के , डाक टिकट, ताश की गड्डियां, फाउंटेन पेन, कैलेंडर, घड़ियां आदि एकत्र करना शुरू किया। जीवन कहते हैं कि उनके पास अंग्रेजों के जमाने के 1938 के पांच और दस रुपये के नोटों के साथ-साथ स्वतंत्र भारत के रिजर्व बैंक के सभी गर्वनरों के कार्यकाल के दौरान उनके हस्ताक्षरों से जारी नोट हैं।
घर ले चुका लघु संग्रहालय का रूप
उनका घर लघु संग्रहालय का रूप ले चुका है। एक छत के नीचे यह सब होने के कारण उन्हें एशिया बुक आफ रिकार्ड्स (2023) व इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स (2022) में जगह मिली। हालांकि सबसे पहले उनका नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड (1996) में दो फीट लंबे, दस इंच चौड़े और 1.7 किलो वजनी बैंगन अपने किचन गार्डन में उगाने के कारण आया था।
देश-दुनिया के 8000 शतायु लोगों का रिकॉर्ड किया इकट्ठा –
एशिया बुक, इंडिया बुक व लिम्का बुक में दर्ज है नाम
नए रिकाॅर्ड के लिए करेंगे दावा
जीवन सिंह अब एक नए रिकाॅर्ड के लिए दावा करने जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अखबारों या अन्य माध्यमों से प्राप्त सौ वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों का रिकाॅर्ड रखना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि 1993 से अब तक विश्व के आठ हजार से अधिक ऐसे लोगों का विवरण जमा किया है। इनकी जानकारी लिखने को बनाया एक बड़ा रजिस्टर भर गया तो एक बड़े पेपर रोल पर इन्हें दर्ज करना शुरू कर दिया। देश-दुनिया के 8000 से अधिक शतायु लोगों के नाम दर्ज कर चुके हैं। इनमें 72 मेरठ के हैं।
पत्नी के नाम लिखा था 8 किलो का प्रेम पत्र
जीवन सिंह बिष्ट ने वर्ष 1999 पत्नी कमला देवी के नाम 850 फीट लंबा और आठ किलो वजन का प्रेम पत्र लिखा। उन्होंने बताया कि इसे लिखने में तीन माह, तीन दिन लगे। 111 पेन के रिफिल इस्तेमाल हुए। 10,50,648 शब्द और 35,121 लाइनें बड़े पेपर पर लिखीं। इसे उन्होंने गिनीज बुक में शामिल कराने का दावा किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली।