दीपक द्विवेदी
भारत में कौशल यानि कि स्किल से संबद्ध अधिकतर परीक्षाओं के पेपर परीक्षा से पहले ही लीक हो जाना अब आम बात होती जा रही है। यही नहीं, सामान्य परीक्षाओं के पेपर भी पहले लीक हुआ करते थे जिन पर थोड़ा बहुत हो-हल्ला हुआ करता था। फिर बात आई-गई और खत्म हो गई। अगर भारत में तभी परीक्षाओं के पेपर परीक्षा से पहले ही लीक होने पर सख्ती की जाती तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। न ही सरकार के सामने उसकी किरकिरी होने की स्थितियां बनतीं।
यद्यपि नरेंद्र मोदी सरकार समेत सभी हितधारकों की चिंता निश्चित रूप से इस बात की है कि इस सुनियोजित पेपर लीक उद्योग को कैसे खत्म किया जा सकता है । पिछले सात सालों में कम से कम 70 परीक्षाओं के प्रश्नपत्र अब तक लीक हो चुके हैं जिससे 1.7 करोड़ आवेदकों के कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं। अभी हाल ही में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए ली जाने वाली नीट 2024 की परीक्षा में हुई धांधलियों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। हालांकि मोदी सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लगातार एक्शन ले रहा है ताकि लाखों बच्चे और उनके परिजन परेशान न हों।
हम सभी जानते हैं कि परीक्षा में होने वाली ऐसी धांधलियों से देश एवं विदेश में चिकित्सा शिक्षा की विश्वसनीयता और उसकी गुणवत्ता का गंभीर खतरे में पड़ना तय है। आज देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि सुप्रीम कोर्ट समेत केंद्र सरकार व राज्य सरकारों के स्तर पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। कार्रवाई ऐसी हो जो संपूर्ण देश में परीक्षा के सौदागरों को यह संदेश दे कि अगर अब गड़बड़ की तो खैर नहीं। आज सरकार के समक्ष सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि भारत में परीक्षाओं की पवित्रता और विश्वसनीयता पर जो प्रश्नचिन्ह लग रहा है, उसको कैसे हटाया जाए। कारण यह है कि सारा विश्वास मिट्टी में मिलता दिखाई दे रहा है। वह विश्वास जिसे वर्षों के परिश्रम से कमाया गया है, वह विश्वास जिसके सहारे दुनिया के 150 देशों के लोग भारत चले आते हैं। यूं तो हर साल लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक भारत आते हैं जिनकी रुचि यहां ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत देखने में होती है पर गत कुछ वर्षों में मोदी सरकार के प्रयासों से भारत को एक नई पहचान मिली है। वह पहचान है मेडिकल टूरिज्म की।
हजारों विदेशी विश्वसनीय और सस्ता इलाज करवाने अब भारत आने लगे हैं। इसको देखते हुए सरकार ने आयुर्वेद सहित पांच चिकित्सा पद्धतियों से इलाज के लिए नए तरह के वीजा का प्रावधान भी किया है। दुर्भाग्य की बात यह है कि अब इन सारी कोशिशों को सरकार के ही अंग अर्थात नीट यानी मेडिकल प्रवेश परीक्षा कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के ही कुछ लोगों ने चंद पैसों के लालच में ऐसा पलीता लगाया है कि जिसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता।
अब मोदी सरकार ने इन परीक्षाओं की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अनेक बड़े कदम उठाए हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं- नीट और यूजीसी-नेट में कथित अनियमितताओं को लेकर बड़े पैमाने पर उठे विवाद के बीच एनटीए के महानिदेशक सुबोध सिंह को पद से हटा दिया है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को भी अधिसूचित कर दिया है जिसका उद्देश्य देश भर में आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं और सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है और इसमें कड़े प्रावधान भी हैं। इसके अलावा एनटीए में सुधार और प्रतियोगिता व प्रवेश परीक्षाओं में बार बार होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के उपाय सुझाने के लिए एक समिति का भी गठन किया है। सात सदस्यीय यह उच्चस्तरीय समिति परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार को दो माह में सुझाव देगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख रहे के. राधाकृष्णन इसके अध्यक्ष होंगे। वे आईआईटी कानपुर के भी निदेशक रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा के आयोजन में किसी की भी तरफ से 0.001 प्रतिशत लापरवाही भी हुई हो, तब भी उससे पूरी तरह से निपटा जाना चाहिए। लेकिन सिर्फ़ यही पर्याप्त नहीं होगा। पेपर लीक उद्योग को ध्वस्त करने के लिए, जो बढ़ती मांग और शक्तिशाली आकाओं के संरक्षण के कारण फल-फूल रहा है, अलग-अलग राज्यों को कार्रवाई करने की भी आवश्यकता है। यह समस्या राज्य द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अधिक व्याप्त है। इसलिए पेपर लीक माफिया पर नकेल कसने में स्थानीय प्रयास भी महत्वपूर्ण हैं। चूंकि नीट का पर्चा डार्क वेब पर जाने की बात भी कही जा रही है तो एआई का प्रयोग और सतत निगरानी की प्रणाली भी अहम भूमिका निभा सकती है।