आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जो न केवल उसकी सैन्य शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत देश ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन और तकनीकी विकास पर जोर दिया है। इस पहल के तहत, भारत ने न केवल आधुनिक हथियार और उपकरण विकसित किए हैं, बल्कि रक्षा क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया है। इस कड़ी में अब 388 लापुआ मैग्नम स्नाइपर राइफल का निर्माण और निर्यात भी शामिल है। यह एक ऐसी स्नाइपर राइफल है जो दुश्मन पर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से अचूक निशाना साध सकती है।
बेंगलुरु की ऊंची उड़ान
बेंगलुरु की हथियार बनाने वाली कंपनी एसएसएस डिफेंस को मित्र देश से एक बड़ा ऑर्डर मिला है। इस देश को .338 लापुआ मैग्नम कैलिबर की स्नाइपर राइफलें सप्लाई करनी हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये पहली बार है जब भारत किसी देश को स्नाइपर राइफलें एक्सपोर्ट कर रहा है। यह डिफेंस डील चीन और पाकिस्तान की टेंशन को और बढ़ा देगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्नाइपर राइफल को बैरल समेत पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन किया गया और बनाया गया है।
मित्र देशों से मिला आर्डर
दिलचस्प बात ये है कि सिर्फ राइफल ही नहीं, बल्कि इस निजी कंपनी को कई मित्र देशों से करीब 5 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के गोला-बारूद की सप्लाई का भी ठेका मिला है।
निजी कंपनियां खुद ढूंढ़ रही हैं ग्राहक
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, निजी कंपनियां खुद भी ग्राहक ढूंढ़ रही हैं, वहीं भारत सरकार तेजी से मंजूरी देकर और विदेशी मांगों को इन कंपनियों तक पहुंचाकर उनकी मदद कर रही है। भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 2023-24 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है, जो लगभग 1.27 लाख करोड़ रुपये है। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम नए आयाम छू रहा है। सूत्रों के अनुसार, ‘भारत अब तोपों से लेकर मिसाइल प्रणालियों और छोटे हथियारों तक, बड़ी मात्रा में उपकरण बना और निर्यात कर रहा है। भारत अब तक इन प्रणालियों का आयातक देश था, लेकिन अब हम उन्हें निर्यात करना शुरू कर चुके हैं।’
मित्र देशों से बातचीत
सूत्रों ने बताया कि एसएसएस डिफेंस ने 1500 मीटर या उससे अधिक दूरी के लक्ष्य के लिए बनाई गई स्नाइपर राइफलों का निर्यात पहले ही पूरा कर लिया है और कुछ अन्य देशों के साथ भी बातचीत चल रही है। इन मित्र देशों के प्रतिनिधि दल बेंगलुरु में कंपनी के निर्माण और परीक्षण केंद्र का दौरा कर चुके हैं और बातचीत चल रही है। इस स्नाइपर राइफल में निर्यात की काफी संभावना है क्योंकि कम से कम 30 देश .338 लापुआ मैग्नम स्नाइपर का इस्तेमाल करते हैं और एक दर्जन से अधिक निर्माता इस कैलिबर में कई तरह की राइफलें बनाते हैं।
भारतीय सेना को कौन-सी राइफल चाहिए
हालांकि भारत ने स्नाइपर राइफलों का निर्यात शुरू कर दिया है, लेकिन भारतीय सेना कई सालों से अपनी जरूरत के लिए ऐसी राइफल ढूंढ़ रही है। 2019 में सेना की उत्तरी कमान ने सीमित संख्या में .50 कैलिबर एम95 बरेट और .338 लापुआ मैग्नम स्कॉर्पियो टीजीटी बेरेटा खरीदी थी लेकिन, डेढ़ साल से अधिक समय पहले सेना की ओर से बोलियां लगाए जाने के बावजूद 4,500 स्नाइपर राइफलों के बड़े ऑर्डर का परीक्षण अभी भी शुरू नहीं हुआ है। सूत्रों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने कई देशों की आपूर्ति चेन को प्रभावित किया है और भारत इस खाली जगह को भरने की कोशिश कर रहा है।