एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य में आस्था एवं विश्वास रखने वाले भारत जैसे देश के प्रति अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आज कनाडा व कुछ अन्य देशों में जिस तरह चंद मुट्ठी भर खालिस्तानी आतंकवाद समर्थकों को उन देशों की सरकारों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सद्भाव और संबंधों में तीक्ष्ण खटास आने की आशंका और बलवती हो गई है। आज जब दुनिया बड़ी-बड़ी वैश्विक चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद एवं खाद्य संकट आदि से जूझ रही है, ऐसे में इनसे निपटने और आर्थिक प्रगति के लिए सारे देशों को साथ आने की सर्वाधिक जरूरत है। इन चुनौतियों से अकेले नहीं निपटा जा सकता और पूरी दुनिया को इनके खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा।
इसी ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ की सोच के साथ भारत ने जी20 सम्मेलन की अध्यक्षता की और हमारी थीम भी ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ थी जिसका सारी दुनिया ने भारत में शिखर बैठक के दौरान अहसास भी किया। अब दुनिया पहले से अधिक लोकतांत्रिक हो गई है और यह जरूरी है कि हम एक दूसरे की संप्रभुता और भावनाओं का सम्मान करें। आज वैश्वीकरण और तकनीक की मदद से हम एक दूसरे को अधिक बेहतर तरीके से जान पा रहे हैं। आज कोई भी इंसान, कोई भी विचार या संस्कृति हमसे बहुत दूर नहीं है लेकिन इसे ज्यादा सद्भावपूर्ण और सहयोगात्मक होने की जरूरत है।
जैसा कि अमेरिका में विश्व संस्कृति उत्सव के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज पूरी दुनिया को आसन्न संकटों, जिनमें आतंकवाद एक बड़ा खतरा है, के खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा। जयशंकर ने कनाडा को आड़े हाथ लेते हुए अमेरिका में एक कार्यक्रम में स्पष्ट कहा कि कनाडा या ब्रिटेन में जो हो रहा है, उसे सामान्य बनाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। कनाडा व ब्रिटेन में भारतीय मिशन और राजनयिकों के खिलाफ उकसावे वाले बयान देकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय मिशन के बाहर स्मोक बम फोड़े जा रहे हैं। मिशन के बाहर हिंसा की जा रही है। ब्रिटेन के ग्लासगो में भारतीय राजनयिक को धार्मिक स्थल में जाने से आतंकवादियों द्वारा रोके जाने जैसी घटनाएं कतई स्वीकार नहीं है। क्या आप इसे सामान्य मानते हैं? अगर यह किसी दूसरे देश में हुआ होता तो तब आपकी क्या प्रतिक्रिया होती? कनाडा अथवा ब्रिटेन में जो हो रहा है वह सामान्य नहीं है और यह अहम है कि इसके बारे में सबको बताया जाए। अगर अमेरिका अथवा खुद कनाडा के खिलाफ यह सब होता तो तब कनाडा या अन्य देश लोकतंत्र या अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई नहीं देते।
वस्तुतः ट्रूडो का बयान आतंकियों, चरमपंथियों व अपराधियों के प्रति कनाडा सरकार का दोहरा चरित्र उजागर कर रहा है। भारत को आज लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी की सीख की आवश्यकता नहीं है। इस संबंध में विदेशमंत्री जयशंकर ने कनाडा सरकार को साफ कर दिया है कि वह अपनी धरती पर आतंकियों को समर्थन देना बंद करे।
वैसे ट्रुडो के बयान से दुनिया भर में उनकी किरकिरी होने के उपरांत कनाडा सरकार के तेवर अब नरम पड़ने लगे हैं। यह अच्छी बात है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो ने यह कहा है कि उनका देश भारत से करीबी संबंध स्थापित करने को लेकर बेहद गंभीर है क्योंकि वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए कनाडा और उसके सहयोगियों का भारत के साथ रचनात्मक और गंभीर तरीके से जुड़े रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वहीं जयशंकर ने भी कनाडा सरकार को दो टूक कहा है कि कनाडा एक ऐसा देश बन गया है जहां भारत के प्रति संगठित अपराध, लोगों की तस्करी के साथ मिश्रित हो गया है जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए। वैसे भारत और कनाडा के बीच संबंध ज्यादातर सौहार्दपूर्ण ही रहे हैं। अगर ताज़ा राजनयिक विवाद चलता रहा तो दोनों देशों के सम्बन्ध में तनाव बढ़ सकता है। फिलहाल इसका सीधा असर कारोबार तथा अन्य पर तो दिखने लगा है। कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा देने पर भारत ने फिलहाल रोक लगा दी है। इस बीच महिंद्रा ग्रुप ने भी कनाडा को बड़ा झटका दिया है। आनंद महिंद्रा की कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कनाडा बेस्ड कंपनी रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन से अपनी साझेदारी खत्म करने का एलान किया है। रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन में महिंद्रा एंड महिंद्रा की 11.18 फीसदी हिस्सेदारी थी। महिंद्रा ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब भारत और कनाडा के बीच तनाव अपने चरम पर है। लोग महिंद्रा के फैसले को इससे जोड़कर देख रहे हैं। कंपनी के बंद होने से कनाडा की अर्थव्यवस्था को निसंदेह झटका लगेगा।
वैसे अगर आज भारत की छवि की तुलना 20 साल पहले से करें तो हमें एक बड़ा फर्क नजर आएगा। पहले कोई भी ऐरा-गैरा भारत को निशाना बना सकता था। हमें याद है कि कनाडा में एयर इंडिया के कनिष्क विमान के हाईजैक और विस्फोट के साथ क्या हुआ था। कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। ऐसा क्यों हुआ था? क्योंकि भारत को एक बहुत ही कमजोर देश माना जाता था। लेकिन अब पीएम मोदी की सरकार आने के बाद ये छवि पूरी तरह बदल गई है। अब भारत अप्रिय मुद्दों को टाले बिना स्पष्ट तरीके से, हर मंच से उन पर बोलता है। शायद यही कारण है कि ट्रुडो द्वारा भारत पर बिना सोचे समझे आरोप लगाने के बाद भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और तेज कर दी है। इससे उनके समर्थकों को भी एक स्पष्ट संदेश जा रहा है।