2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने की बात कही जा रही है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ‘2023 के मध्य तक विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं’ नामक एक रिपोर्ट के अनुसार घरेलू मांग में लचीलापन बरकरार रहने से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा। यूएन ने साउथ एशिया के सबसे बड़े देश भारत के बारे में यह रिपोर्ट जारी की थी।
भारत विश्व अर्थव्यवस्था में एक ‘ब्राइट स्पॉट यानी उज्ज्वल बिंदू’ बना हुआ है। दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोसी देशों के हालात काफी चिंताजनक हैं लेकिन महंगाई के दबाव के बाद भी भारत मुसीबतों से घिरे इस इलाके ही नहीं, पूरी दुनिया में विकास का सबसे चमकता सितारा बना हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि भारत की अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास की एक शानदार मिसाल है और 2023 का केंद्रीय बजट इस बात का प्रतिबिंब है कि भारत, विकास की एक व्यापक धारणा वाली राह पर आगे बढ़ने का इरादा रखता है।
एक तरफ तो 2024 के चुनाव से पहले यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का अंतिम पूर्ण बजट था जिससे मौजूदा सरकार के लिए अपने किए गए वादे पूरे करना बहुत जरूरी हो जाता है; वहीं दूसरी ओर बजट को भारत के विकासशील देशों की प्रमुख आवाज होने के दावे की पुष्टि करते हुए इस साल जी20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के तौर पर दुनिया की स्थिरता को भी मजबूती देनी है। ये बात स्वीकार करने के ठोस कारण हैं कि 2023 के बजट से भारत का ऐसा अमृत काल शुरू हुआ है जो आने वाले समय में भारत को समावेशी और समृद्ध आर्थिक शक्ति बनाएगा।
वस्तुत: भारत की अर्थव्यवस्था पिछले तीन दशकों और खास तौर से 1990 के दशक के बाद से खपत के आधार पर विकसित होती आई है जब भारत भूमंडलीकृत विश्व व्यवस्था के साथ जुड़ा। वैसे महामारी के बाद प्रोत्साहन के कई पैकेज दिए जाने के बाद भी खपत की मांग तुलनात्मक रूप से काफी कम रही तथा वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी 6.6 प्रतिशत तक सिकुड़ गई थी।
महामारी से निपटने के लिए पीएम मोदी के शानदार प्रयासों, घरेलू क्षमताओं के विकास और विशेष रूप से संपर्क पर अधिक निर्भर क्षेत्रों, यथाव्यापार और हॉस्पिटैलिटी में आर्थिक गतिविधियां पुन: प्रारंभ होने से वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में निजी खपत के आंकड़े, अविश्वसनीय रूप से जीडीपी का 58.4 फीसदी हो गए जो 2013-14 के बाद से किसी भी दूसरी तिमाही में सबसे अधिक थे।
2023 के बजट की प्रमुख बातों में से एक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनों करों में रियायत रही जिससे कर राजस्व में 350 अरब रुपये की हानि की बात कही गई पर इससे भारत की आम जनता और खास तौर से मध्यम और निम्न वर्ग के पास व्यय के लिए अधिक धन बचा। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और कृषि ऋण में 11 फीसद की प्रस्तावित वृद्धि का घरेलू बाजारों में मांग पर सकारात्मक असर पड़ा।
जनवरी 2023 में चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया; ऐसे में भारत ने दुनिया के लिए एक सुदृढ़ श्रमिक बाजार के दरवाजे खोल दिए। ये बात भारत की युवा जनसंख्या की दृष्टि से काफी महत्व रखती है क्योंकि भारत के पास कुल आबादी में से 30 साल से कम आयु के व्यक्तियों की संख्या 52 फीसदी से अधिक होने का लाभ हासिल है।
इसीलिए इस बजट में मानवीय पूंजी पर जोर देते हुए कौशल विकास के तीव्र प्रयासों को भी मोदी सरकार ने प्राथमिकता दी थी। घरेलू श्रमिक बाजार में मांग और आपूर्ति के संतुलन के लिहाज से भी ये बात भारत के विकास के मद्देनजर उपयोगी साबित होगी। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और भारत के युवाओं को वैश्विक रोजगार बाजार के उपयुक्त बनाया जा सकेगा। इस दिशा में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का भी उल्लेख किया गया है। इसका मकसद भारत के तमाम युवाओं को नए दौर के उद्योगों 4.0 के हिसाब से कुशल बनाया जाना है ताकि वे चौथी औद्योगिक क्रांति के अनुकूल स्वयं को तैयार कर सकें।
इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग और मेकाट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र शामिल किए गए हैं ताकि भारत को बेरोजगारी की उस चुनौती से भी निपटने में मदद मिले जिससे भारत ही नहीं लगभग हर देश इस वक़्त जूझ रहा है। भारत ने खुद को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए बेरोजगारी की दर बहुत तेजी से घटानी होगी क्योंकि युवाओं की आमदनी से भी खपत, बचत और भारत के 5 ट्रिलियन से 10 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के घोषित लक्ष्य को भी हासिल करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी।
आज जब दुनिया संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के एजेंडे को 2030 में प्राप्त करने का आधा सफर तय कर चुकी है तो लगभग सभी देश टिकाऊ विकास से लक्ष्य तय समय पर हासिल करने से काफी पीछे चल रहे हैं। इसके बड़े कारणों में विकास संबंधी वित्त को स्वास्थ्य के आपातकाल में व्यय करना, आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधा और अत्यंत खराब मौसम की मार भी एक प्रमुख कारण है।
वैसे कैंलेडर वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने की बात कही जा रही है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ‘2023 के मध्य तक विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं’ नामक एक रिपोर्ट के अनुसार घरेलू मांग में लचीलापन बरकरार रहने से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा। यूएन ने साउथ एशिया के सबसे बड़े देश भारत के बारे में यह रिपोर्ट जारी की थी। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा, आर्थिक विश्लेषण और नीति प्रभाग के प्रमुख हामिद राशिद ने कहा था कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में एक ‘ब्राइट स्पॉट यानी उज्ज्वल बिंदू’ बना हुआ है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के संबंध में हमारे अनुमान जनवरी से नहीं बदले हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में कई सकारात्मक चीजें दिख रही हैं जिनमें मुद्रास्फीति में आई बड़ी गिरावट शामिल है। आसपास के देशों पर नजर दौड़ाएं तो कोविड के बाद से चीनी अर्थव्यवस्था की चमक फीकी पड़ती नजर आ रही है। 2023 की दूसरी तिमाही अप्रैल से जून के बीच चीन की जीडीपी उम्मीद से कम 6.3 फीसदी रही है यानि मौजूदा वर्ष की दूसरी तिमाही में चीनी अर्थव्यवस्था ने 6.3 फीसदी की दर से विकास किया है।
आरबीआई के अनुसार आर्थिक विकास की रफ्तार के मामले में चीन पर भारत भारी साबित हो रहा है। एकतरफ जहां निवेशक चीन को छोड़ रहे हैं वहीं दुनिया भर के देश भारत में निवेश के लिए इच्छुक नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत आए थे और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अब जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक श्रीलंका ने चीन और पाकिस्तान के एक ऑफर को ठुकराकर भारतीय कंपनी के प्रस्ताव को मंजूरी देने का मन बनाया है। आज की तारीख में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी देश है। भारत, चीन की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ अनुमानों की इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा की जाती है।
चाईना प्लस वन पॉलिसी के तहत दुनिया की बड़ी दिग्गज कंपनियां जो चीन में पहले से मौजूद हैं वो भारत में अपना निवेश बढ़ा रही हैं। यानि शेयर बाजार के निवेशक भी चीन से निकलकर भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर 6.8 प्रतिशत रहेगी और वो दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनेगा।