विनोद शील
नई दिल्ली। विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम संगठनों में शुमार विश्व मुस्लिम लीग के प्रमुख मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा ने भारत के संदर्भ में अनेक सकारात्मक विचार व्यक्त किए। अल-ईसा इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-सऊदी अरब के बीच सामाजिक, आर्थिक और द्विपक्षीय संबंधों समेत कई मुद्दों की समीक्षा की। इसके अतिरिक्त पीएम मोदी व मुस्लिम विद्वानों के संगठन के अध्यक्ष अल-ईसा के बीच अंतर-धार्मिक सद्भाव, शांति को आगे बढ़ाने और मानव प्रगति की दिशा में काम करने के विभिन्न पहलुओं पर भी व्यावहारिक चर्चा हुई।
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव अल-ईसा ने समावेशी विकास के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण की प्रशंसा की। उन्होंने जानकारी दी कि वे उग्रवाद और नफरत के सभी पहलुओं का मुकाबला करने के लिए एक साथ काम करने के महत्व पर सहमत हुए हैं। अल-ईसा ने भारत को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की शानदार मिसाल बताया और कहा कि दुनिया को भारत से शांति के बारे में सीखना चाहिए। मोदी सरकार जिस तरह से मुस्लिम समुदाय की उन्नति के लिए कार्य कर रही है और इस कार्य को भलीभांति पूर्ण करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने लाखों की संख्या में ‘मोदी मित्रों’ को जिम्मेदारी सौंपी है। ये ‘मोदी मित्र’ मुस्लिम समुदाय को सरकार के द्वारा उनके हितों के लिए किए जा रहे कार्यों से अवगत कराएंगे ताकि ‘मोदी मित्रों’ का इजाफा हो सके।
उल्लेखनीय है कि देश में मुस्लिम समुदाय, खास कर मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी के लिए मोदी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं जिनमें जम्मू-कश्मीर से 370 हटाना, तीन तलाक की समाप्ति और अब यूसीसी लाने की तैयारी शामिल हैं। यूसीसी से मुस्लिम महिलाओं के जीवन और अधिकारों में लाभदायक बदलाव आएगा।
सबसे समान व्यवहार जरूरी
यही वजह है कि पीएम मोदी सभी को यह समझाते हैं कि मुसलमान भी इस देश के लिए आवश्यक हैं। सभी भारतवासी समान हैं और उनकी सरकार में धर्म के नाम पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता। इसकी बानगी अभी हाल ही में तब देखने को मिली थी जब पीएम मोदी अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा पर गए थे। अमेरिका में उन्होंने साफ कहा था कि लोकतंत्र भारत के डीएनए में है। उनकी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ में विश्वास करती है।
इसीलिए पीएम न सिर्फ भारत के उदारवादी मौलानाओं से संपर्क में रहते हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस्लामिक विद्वानों से संपर्क रखते हैं।
पीएम मोदी ने मुसलमानों से कभी दूरी नहीं जतायी
प्रधानमंत्री मोदी ने कभी सार्वजनिक तौर पर न ऐसा दिखाया और न जताया कि वे मुसलमानों से कोई दूरी बरतते हैं। प्रधानमंत्री देश में सभी समुदायों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। पिछले अमेरिकी दौरे के बाद वापसी में वे जब मिस्र गए तो वहां कई मौलानाओं से भी मिले।
पीएम मोदी हर हाल में भारत की छवि ऐसे देश के रूप में स्थापित करना चाहते हैं जहां हर समुदाय समान है। शायद इसीलिए वे सऊदी अरब समेत दुनियाभर के मुस्लिम देशों से अपना भ्रातृभाव बनाए रखना चाहते हैं। पीएम मोदी का मानना है कि भारत के विकास के लिए देश के हर समुदाय को साथ लेकर चलना ही होगा। इसके लिए हर समुदाय का विकास होना भी जरूरी है। इसी क्रम में उनकी भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर ध्यान देना शुरू किया है।
– मुस्लिमों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने उठाए कई कदम
– दुनिया शांति के बारे में भारत से सीखे
– देश भर में 3 लाख 25 हजार मुस्लिम ‘मोदी मित्र’
– देश के हर वर्ग के साथ तालमेल बिठाया कलाम ने : मोदी
– मुसलमानों व उनके धर्म को कोई खतरा नहीं : डोभाल
भाजपा मुस्लिम मोर्चे का अशरफ से पसमांदा तक (कुलीन वर्ग से कमजोर वर्ग की ओर) पहुंचने का देशव्यापी अभियान 10 मई से शुरू हुआ है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के मुताबिक, अभियान के तहत 3 लाख 25 हजार मुस्लिम ‘मोदी मित्र’ देश भर के 65 मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्रों में प्रधानमंत्री मोदी के साथ केंद्र की मुस्लिम कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करेंगे। प्रचार के लिए चुने गए क्षेत्रों में 30 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर हैं। इनमें यूपी-बंगाल के 13-13, केरल के 8, असम के 6, जम्मू-कश्मीर के 5, बिहार के 4, मध्यप्रदेश के 3, महाराष्ट्र, दिल्ली, गोवा, तेलंगाना, हरियाणा के 2-2, लद्दाख, लक्षद्वीप, तमिलनाडु का 1-1 लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं।
सिद्दीकी ने बताया कि अभियान के तहत यह बताया जाएगा कि भाजपा सरकार की सभी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के मुसलमानों को मिल रहा है। एक लोकसभा क्षेत्र में 5000 मुस्लिम ‘मोदी मित्र’ रहेंगे। ये प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर, वकीलों जैसे गैर राजनीतिक व्यक्ति होंगे। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को भी हमेशा एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपने जीवन में समाज के हर वर्ग के साथ तालमेल बिठाया था। हमारे देश में उनके योगदान के लिए उनकी बहुत प्रशंसा की जाती है।
ज्ञात हो कि अल-ईसा अभी हाल ही में भारत सरकार के आधिकारिक निमंत्रण पर भारत के पांच दिवसीय दौरे पर आए थे। खुसरो फाउंडेशन की तरफ से दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में अल-ईसा ने भारत के ज्ञान और संविधान की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा, भारतीय ज्ञान ने दुनिया भर में मानवता, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान दिया है। सह-अस्तित्व इसका बेहद अहम हिस्सा है। भारतीय समाज की विविधता व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व केवल शब्दों तक ही सीमित नहीं है। इस्लाम के उदारवादी पक्ष को प्रचारित करने वाले संगठन के प्रमुख अल-ईसा ने दुनिया में विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद और शांति एवं भाईचारा स्थापित करने के लिए भारत और लीग के बीच मजबूत सहयोग की वकालत भी की। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी इंडिया इस्लामिक सेंटर में आयोजित समारोह में विश्व मुस्लिम लीग के महासचिव और सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री अल-ईसा के सम्मान समारोह में कहा कि पाकिस्तान भारत के बारे में दुष्प्रचार किया करता है।
हकीकत यह है कि भारत में मुसलमान और उनके मजहब को कोई खतरा नहीं है। यही वजह है कि मुस्लिम देश इंडोनेशिया को छोड़ दें तो भारत में विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी रहती है। उन्होंने जोर दे कर कहा कि इस्लामिक सहयोग संगठन के 59 सदस्य देशों के बराबर मुसलमान भारत में रहते हैं।