विनोद शील
नई दिल्ली। भारत प्राचीन काल में सोने की चिड़िया और ज्ञान का भंडार कहा जाता था। वेदों की रचना और नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय यहां हुआ करते थे। विश्व गुरु के रूप में इसकी मान्यता थी। कालांतर में देश की यह समृद्धि अलग-अलग वजहों से क्षीण होती गई पर अब वर्तमान समय में भारत एक बार पुन: जाग रहा है। दुनिया तमाम बड़ी समस्याओं के हल के लिए भारत की ओर निहार रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अमृत काल के तहत 2047 तक भारत को एक संपूर्ण विकसित राष्ट्र में तब्दील करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। वैश्विक स्तर पर एक बार फिर भारत की भूमिका अहम होने वाली है क्योंकि तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर है। निसंदेह एक नए नायक के रूप में उभर कर सामने आ रहा है भारत।
अगले 5 साल यानी 2028 तक दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ में भारत की भागीदारी बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगी जो अभी 16 फीसदी से कुछ कम है। यह बात आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में कही गई है। 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 262 लाख करोड़ रुपये था जो 2028 तक 500 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। भारत और चीन दुनिया की आर्थिक तरक्क ी में 50 प्रतिशत के हिस्सेदार हैं। भारत में इस साल जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी संभव है जो दुनिया में सर्वाधिक होगी।
बेरोजगारी की दर घटी, विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा
देश में बेरोजगारी की दर 7.1 फीसदी पर आ गई है और 39.97 प्रतिशत आबादी के पास रोजगार है। मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक भारत में विदेशी मुद्रा का भंडार 22 फीसदी बढ़ चुका है। चीन में भंडार सिर्फ 1.9 फीसदी बढ़ा।
भरोसा सर्वाधिक, यूरोप से डेढ़ गुना
अर्थव्यवस्था में भारतीय उपभोक्ताओं का भरोसा दुनिया में सबसे ज्यादा है। उपभोक्ता सूचकांक 90 है। यह यूरोजोन में 60 है। इंग्लैंड को छोड़ पूरे यूरोजोन व अमेरिका में उपभोक्ताओं का भरोसा लगातार गिर रहा है। देश के शहरों से अंतरराष्ट्रीय हवाई रूट्स पर यात्रियों की संख्या भी 40.5 प्रतिशत बढ़ी है।
– पर्यावरण संरक्षण में कर रहा अपूर्व योगदान
रुपया अन्य करंसी से कम गिरा
भारत में कमर्शियल और नॉन कमर्शियल वाहनों का पंजीकरण 25-30 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ रहा है। भारतीय रुपया भी अमेरिकी डॉलर को छोड़कर सभी करंसियों के मुकाबले सितंबर में मजबूत रहा। डॉलर के मुकाबले रुपया 0.3 फीसदी ही कमजोर हुआ। चीनी युआन 0.7 प्रतिशत, यूरो 2.2 फीसदी और ब्रिटिश पाउंड 2.5 प्रतिशत तक गिरा है।
यही नहीं, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी भारत अपूर्व योगदान कर रहा है। आने वाले समय में दुनिया में मेड इन इंडिया का सिक्क ा जमेगा एवं भारत ईवी बनाने वाले देशों का मुखिया बनेगा।
अमेरिका में बर्कले लैब रिसर्च की एक रिपोर्ट का दावा है कि भारत के पास इलेक्टि्रक वाहन बनाने की इतनी ज्यादा क्षमता है कि इस मामले में दुनिया में नंबर-1 बन सकता है। रिसर्च यह भी बताती है कि अगर भारत में डीजल की जगह इलेक्टि्रक ट्रक आ जाते हैं तो 2070 तक ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को पूरी तरह से खत्म किया जा सकेगा।
भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति
विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर भारत का स्थान काफी ऊंचा हो गया है। वर्तमान अध्यक्ष के रूप में जी20 और अन्य शिखर सम्मेलनों की भारत द्वारा मेजबानी इस बात का प्रमाण है। आज भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है जो अपनी कथनी और करनी से अन्य देशों को एक साथ लाता है। भारत की बढ़ती ताकत और अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों का बढ़ता कद एवं प्रभाव पारस्परिक रूप से दुनिया के लिए हितकारी है।
आज विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में अपना उज्ज्वल भविष्य देख रही हैं। लड़ाकू विमान राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलना चाहती है। इसी सिलसिले में फ्रेंच कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर कंपनी के कुछ अन्य अफसरों के साथ भारत आए थे। तमाम बड़ी अमेरिकी कंपनियां, जिनमें जेट इंजन बनाने वाली कंपनी भी शामिल है, भारत में अपने उत्पाद बनाना चाहती हैं। दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी एप्पल अपना आईफोन अब यहीं तैयार कर रही है और गूगल भी अपना फोन भारत में बनाना चाह रही है।
गौरतलब है कि भारत हर उस देश की भी मदद करता है जिसे उसकी जरूरत है। हमास हमले के बाद यद्यपि भारत ने इस्राइल के साथ अपनी प्रतिबद्धता जताई पर वह फिलिस्तीन को भी पूरी मानवीय मदद कर रहा है। आर्थिक संपन्नता आदि के मामले में अंतिम पायदान पर रहने वाले अफ्रीकी देशों को जी20 का सदस्य बना कर भारत ने इनकी काफी सहायता की और इनकी आवाज बन कर कूटनीतिक कामयाबी हासिल की जिसके जरिए भारत ने विश्व में अपने वैश्विक मित्रों का दायरा बढ़ाकर खुद को वैश्विक स्तर पर और शक्तिशाली होने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है।