ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है और धीरे-धीरे सैन्य उपकरणों के वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि एक समय था जब रक्षा बजट का अधिकांश हिस्सा विदेश से सैन्य साजो-सामान खरीदने के लिए उपयोग किया जाता था, लेकिन उनकी सरकार ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया।
सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘एयर स्ट्राइक’
मोदी ने कहा, ‘हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहे है। आज रक्षा विनिर्माण में हमारी अपनी पहचान है। भारत रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री ने 2016 की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और 2019 में बालाकोट ‘एयर स्ट्राइक’ का भी जिक्र किया और कहा कि उनकी सरकार के तहत सशस्त्र बल आतंकवादी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘जब हमारे सशस्त्र बल ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करते हैं, ‘एयर स्ट्राइक’ करते हैं, तो देश के युवाओं को गर्व महसूस होता है। और यही कारण है कि आज 140 करोड़ देशवासियों का हृदय गर्व और आत्मविश्वास से भरा हुआ है।
– कई देशों को सैन्य साजो-सामान निर्यात कर रहा है देश
पीएम ने जताया संतोष
प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत, जो कभी रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भर था, आज कई देशों को सैन्य साजो-सामान निर्यात कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 में वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
रक्षा निर्यात
इसी वित्तीय वर्ष में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो 2022-23 की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रक्षा निर्यात में उल्लेखनीय उछाल आया है और 6,915 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरण निर्यात किए गए। यह राशि 2023-24 की पहली तिमाही से 78 प्रतिशत अधिक है। 2023-24 में यह 3,885 करोड़ रुपए थी।
जो रक्षा मंत्री ने कहा था
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी साल जून महीने में अगले पांच वर्षों के लिए रक्षा क्षेत्र में अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा था कि सरकार 2028- 29 तक सैन्य साजो-सामान के निर्यात को 50,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने के लिए पूरी मेहनत से काम करेगी।