विनोद शील
नई दिल्ली। भारत ने क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स– एशिया 2024 में चीन से बाजी मार ली है और नंबर 1 बन गया है। भारत 15 वर्षों में पहली बार चीन से आगे निकल गया है। भारत की तरफ से कुल 37 नई यूनिवर्सिटी टॉप एशियन यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में शामिल हो गई हैं। यूके स्थित रैंकिंग एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत टॉप 100 एशियन यूनिवर्सिटी में कुल 148 (करीब 18 प्रतिशत) फीचर्ड यूनिवर्सिटी को रिप्रेजेंट करता है। यह एशिया में सबसे ज्यादा है।
चीन 133 यूनिवर्सिटी के साथ दूसरे नंबर पर है जबकि 96 यूनिवर्सिटीज के साथ जापान तीसरे नंबर पर है।
क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स- एशिया 2024 में आईआईटी बॉम्बे को हाइएस्ट इंडियन इंस्टीट्यूशन माना गया है और एशियाई लिस्ट में 40वें नंबर पर है। यह सब उन कदमों से संभव हो रहा है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हायर एजुकेशन सिस्टम के विस्तार और सबकी पहुंच तक आसान बनाने के लिए उठाए हैं। पीएम मोदी का मानना है कि इससे विकास के साथ क्वालिटी एजुकेशन, स्टूडेंट फैकल्टी रेशियो और भारत की साख बनाने का मौका मिलता है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि भारत के इंस्टीट्यूशंस पूरे वर्ल्ड में अपनी पहचान बना रहे हैं।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 10 साल में भारत की रैकिंग लगातार बढ़ती गई है। 2014 में क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स– एशिया की रिपोर्ट में भारत की 30 यूनिवर्सिटी शामिल थीं। बीते वर्ष इस क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में भारत के 111 शिक्षण संस्थान शामिल थे जो कि इस बार बढ़कर 148 हो गए। क्यूएस की इस रैंकिंग में आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बॉम्बे शीर्ष 50 में जगह बनाने में सफल रही हैं। वहीं, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर और आईआईएससी बैंगलोर सहित पांच अन्य संस्थान शीर्ष 100 में शामिल हैं।
यह रैंकिंग एशिया के संस्थानों के लिए जारी की गई है। इस रैंकिंग में न सिर्फ भारत के अधिक संस्थानों ने जगह बनाई बल्कि उनकी पिछले वर्ष की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। भारत के कुल 21 संस्थानों ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। वहीं 15 यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मद्रास क्रमशः 40 और 46 तथा 53 की रैंकिंग के साथ पूर्ववत हैं। आईआईएससी बैंगलोर अब 58 से 52 और आईआईटी खड़गपुर 61 से 59वें स्थान पर पहुंच गई है।
आईआईटी कानपुर की रैंकिंग 66 से 63 हो गई है। सबसे बड़ी छलांग आईआईटी गुवाहाटी ने मारी है, जो कि 124 से सीधे 111वें स्थान पर आ गई। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी 119 से 117वें स्थान पर पहुंच गई है।
भारत के लगातार बढ़ते संस्थानों की संख्या प्रदर्शित कर रही है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बीते वर्षों में काफी सुधार हुआ है। वर्ष 2014 में इस रैंकिंग में भारत के मात्र 16 संस्थान शामिल थे। अब 9 वर्षों के बाद यह संख्या लगभग 10 गुनी हो गई है।
भारत अनुसंधान के क्षेत्र में असाधारण रूप से आगे आया है। प्रति संकाय पेपर के मामले में एशिया के 10 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से 7 विश्वविद्यालय भारतीय हैं। वहीं, अन्ना विश्वविद्यालय ने अनुसंधान उत्पादकता में क्षेत्रीय श्रेष्ठता हासिल की है। इस सूचकांक में इसने पहला स्थान हासिल किया है। इसके अलावा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, वेल्लौर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, अन्ना यूनिवर्सिटी भी टॉप 200 में जगह बनाने में कामयाब हुई हैं। शिक्षा मंत्रालय की भी यही कोशिश है कि वर्ल्ड रैंकिंग में ज्यादा से ज्यादा भारतीय शिक्षा संस्थान शामिल हों। क्यूएस के मुताबिक भारत ने ‘आउटबाउंड स्टूडेंट मोबिलिटी’ (विदेश जाने वाले छात्र) में भी उपलब्धि हासिल की। अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है।
– भारत की 37 नई यूनिवर्सिटी टॉप रैंकिंग में
– 15 वर्षों में पहली बार चीन से आगे भारत
– भारत के बाद चीन और जापान का नंबर
इस रैंकिंग में कुल 25 देशों की 856 यूनिवर्सिटी को शामिल किया गया है। यह रैंकिंग पूरी दुनिया में उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता, उनमें हो रहे शोध, छात्रों में उनकी मांग और शिक्षा-जगत में उनके प्रदर्शन को आधार बनाकर तैयार की जाती है। इसे टॉप यूनिवर्सिटीजडॉट कॉम (Topuniversities.com) नाम की एक वेबसाइट द्वारा हर साल प्रकाशित किया जाता है।
यह रैंकिंग पूरी दुनिया के पांच हिस्सों– एशिया, लैटिन अमेरिका, इमर्जिंग यूरोप, मध्य एशिया और अरब क्षेत्र के अतिरिक्त ब्रिक्स देशों के लिए जारी की जाती है। वर्तमान रैंकिंग जिसमें भारत शीर्ष पर है, एशिया के लिए है। इस बार की रैंकिंग में चीन की कुल 133 यूनिवर्सिटी और जापान की 96 यूनिवर्सिटी शामिल हुई हैं।
म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल के शिक्षा संस्थान पहली बार लिस्ट में आए हैं। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग- एशिया को देखें तो पहले नंबर पर चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी है। उसके बाद हॉन्गकॉन्ग की यूनिवर्सिटी है। तीसरे और चौथे नंबर पर सिंगापुर की यूनिवर्सिटी है। टॉप 20 में साउथ कोरिया, मलेशिया, जापान की यूनिवर्सिटीज ने भी जगह बनाई है।
भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के विस्तार को दर्शाती है रैंकिंग : बेन सॉटर
क्यूएस के सीनियर उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा, क्यूएस रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की बढ़ती दृश्यता भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के विस्तार को दर्शाती है जबकि भारतीय संस्थानों की संख्या और उनके रिसर्च योगदान में महत्वपूर्ण वृद्धि क्षेत्र की शैक्षिक प्रोफाइल में एक उल्लेखनीय विकास का प्रतीक हैं, यह भारत के लिए वैश्विक शैक्षणिक समुदाय में अपनी स्थिति को और ऊपर उठाने के लिए आगे का रास्ता भी साफ करता है।
क्या है क्यूएस रैंकिंग
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग पोर्टफोलियो 2004 में शुरू हुआ था। विश्व की टॉप यूनिवर्सिटी के प्रदर्शन के बारे में तुलनात्मक डेटा के आधार पर रैंकिंग तैयार की जाती है। इस रैंकिंग सिस्टम की विश्व में काफी ज्यादा अहमियत मानी जाती है और स्टूडेंट्स विदेशों में यूनिवर्सिटी का चयन करते समय क्यूएस रैंकिंग को भी ध्यान में रखते हैं।