ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के तीन साल में प्रभावित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पटरी पर लौट रही है। दुनिया के 125 देशों में इसके बेहतर संकेत मिले हैं। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की जारी चौथी ग्लोबल पल्स सर्वेक्षण (अंतरिम रिपोर्ट) में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार 125 देशों की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बदलाव आ रहा है। अगर आंकड़ों की बात करें तो 2021 की तुलना में दिसंबर 2022 तक इन देशों की इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं में आई बाधा 50 फीसदी तक दूर हुई है। टीबी, टीकाकरण, एचआईवी, मच्छरजनित रोग, इन्फ्लूएंजा की निगरानी में काफी तेजी से सुधार हो रहा है।
सर्वेक्षण में शामिल 125 देशों की प्रतिक्रिया के आधार पर डब्ल्यूएचओ ने निष्कर्ष निकाला है कि 2022 की अंतिम तिमाही (अक्तूबर से दिसंबर) में औसतन 23 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा ट्रेसर बाधित हुए जबकि 2020 की तीसरी तिमाही में यह रुकावट 56 फीसदी तक दर्ज की गई थी। इनमें से कुछ ट्रेसर में 24 घंटे की आपातकालीन देखभाल, आपातकालीन सर्जरी, पुनर्वास सेवाएं, परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक, प्रसव पूर्व देखभाल और नियमित सुविधा-आधारित टीकाकरण सेवाएं शामिल हैं। इससे पहले फरवरी 2022 में डब्ल्यूएचओ ने तीसरी वैश्विक पल्स सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा था कि महामारी के कारण 90 प्रतिशत से अधिक देश अपने लोगों को इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं देने में निरंतर बाधाओं का सामना कर रहे हैं। 2021 और 2022 में लगभग 53 प्रतिशत देशों ने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने में बाधाओं की सूचना दी थी। साथ ही 38 प्रतिशत देशों ने सामुदायिक देखभाल सेवाओं के वितरण में व्यवधानों की सूचना दी।
भारत की प्रशंसा
2022 में बीएमजे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन के प्रो. गोपाल कृष्ण नेटुवेली ने कहा, लॉकडाउन और संक्रमण प्रसार के चलते भारत में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा। 2021 की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ा गईं थीं लेकिन यह स्थिति सिर्फ कुछ महीनों तक ही देखने को मिली। दूसरी लहर निकलने के बाद भारत ने काफी हद तक खुद को वापस पटरी पर लाने के सराहनीय प्रयास किए।
टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल कई गुना बढ़ा
विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी के दौर में भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र ने डिजिटल रूप से खूब तरक्क ी की है। बीते तीन साल में ही टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल कई गुना बढ़ा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण बताते हैं कि केंद्र सरकार के टेलीमेडिसिन कार्यक्रम के तहत अब तक 10 लाख से ज्यादा मरीज घर बैठे चिकित्सा सलाह का लाभ ले चुके हैं। दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि डिजिटल के साथ मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी भारत ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। मौजूदा समय में, भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो 140 करोड़ लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए निशुल्क हेल्पलाइन संचालित कर रहा है।