आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने सालों पहले रूस से हवा से हवा में मार करने वाली आर-73 और आर-27 मिसाइलें ली थीं। इनका जखीरा जब पुराना होने लगा तब यह माना गया कि ये किसी काम की नहीं रहेंगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारतीय वैज्ञानिकों ने इन्हें बदलकर सतह से हवा में मार करने वाले सिस्टम में बदल दिया।
इस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
सिस्टम का नाम रखा गया समर एयर डिफेंस सिस्टम (अग्निबाण)। हाल ही में राजस्थान के पोखरण में हुए वायुशक्ति 2024 युद्धाभ्यास में इस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ने अपनी सटीक मारक क्षमता दिखाई।
ट्रक से लॉन्च की जाती है,2982 किमी की स्पीड
समर मिसाइल ट्रक से लॉन्च की जाती है। यह 2982 किमी की स्पीड से किसी भी हवाई टारगेट को हिट कर सकती है। यानी दुश्मन को बचने का मौका ही नहीं मिलता। समर का पूरा नाम है सरफेस-टू-एयर मिसाइल फॉर एस्योर्ड रीटैलिएशन।
इस मिसाइल सिस्टम का संचालन वायुसेना की बीआरडी यूनिट करती है। यह किसी भी तरह के हवाई टारगेट यानी हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स को निशाना बना सकती है। इसके लॉन्चर पर दो मिसाइलों को लगाने की व्यवस्था है। इन मिसाइलों की रेंज भी काफी प्रभावशाली है।
– समर सिस्टम में समर-1 और समर-2, दो तरह की मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं। समर-1 कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसकी रेंज 10-12 किलोमीटर है। जबकि वहीं, समर-2 की रेंज 20 किलोमीटर है।
– समर-1 का वजन 105 किलोग्राम, लंबाई 9.7 फीट, व्यास 6.5 इंच और इसमें 7.4 किग्रा का वॉरहेड लगता है। जबकि समर-2 का वजन 253 किग्रा है। यह समर-1 की तुलना में ज्यादा लंबी है। इसकी लंबाई 13.4 फीट है। इसमें 39 किग्रा का वॉरहेड लगा है।
– दोनों मिसाइलों को लॉन्च करने वाले ट्रक भी अलग -अलग हैं। समर-1 के लिए अशोक लीलैंड स्टैलियन 4×4 ट्रक का इस्तेमाल होता है जबकि समर-2 के लिए बीईएमएल टाट्रा टी815, 8×8 ट्रक इस्तेमाल होता है।
आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने सालों पहले रूस से हवा से हवा में मार करने वाली आर-73 और आर-27 मिसाइलें ली थीं। इनका जखीरा जब पुराना होने लगा तब यह माना गया कि ये किसी काम की नहीं रहेंगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारतीय वैज्ञानिकों ने इन्हें बदलकर सतह से हवा में मार करने वाले सिस्टम में बदल दिया।
इस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
सिस्टम का नाम रखा गया समर एयर डिफेंस सिस्टम (अग्निबाण)। हाल ही में राजस्थान के पोखरण में हुए वायुशक्ति 2024 युद्धाभ्यास में इस सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ने अपनी सटीक मारक क्षमता दिखाई।
ट्रक से लॉन्च की जाती है,2982 किमी की स्पीड
समर मिसाइल ट्रक से लॉन्च की जाती है। यह 2982 किमी की स्पीड से किसी भी हवाई टारगेट को हिट कर सकती है। यानी दुश्मन को बचने का मौका ही नहीं मिलता। समर का पूरा नाम है सरफेस-टू-एयर मिसाइल फॉर एस्योर्ड रीटैलिएशन।
इस मिसाइल सिस्टम का संचालन वायुसेना की बीआरडी यूनिट करती है। यह किसी भी तरह के हवाई टारगेट यानी हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स को निशाना बना सकती है। इसके लॉन्चर पर दो मिसाइलों को लगाने की व्यवस्था है। इन मिसाइलों की रेंज भी काफी प्रभावशाली है।
– समर सिस्टम में समर-1 और समर-2, दो तरह की मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं। समर-1 कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसकी रेंज 10-12 किलोमीटर है। जबकि वहीं, समर-2 की रेंज 20 किलोमीटर है।
– समर-1 का वजन 105 किलोग्राम, लंबाई 9.7 फीट, व्यास 6.5 इंच और इसमें 7.4 किग्रा का वॉरहेड लगता है। जबकि समर-2 का वजन 253 किग्रा है। यह समर-1 की तुलना में ज्यादा लंबी है। इसकी लंबाई 13.4 फीट है। इसमें 39 किग्रा का वॉरहेड लगा है।
– दोनों मिसाइलों को लॉन्च करने वाले ट्रक भी अलग -अलग हैं। समर-1 के लिए अशोक लीलैंड स्टैलियन 4×4 ट्रक का इस्तेमाल होता है जबकि समर-2 के लिए बीईएमएल टाट्रा टी815, 8×8 ट्रक इस्तेमाल होता है।