नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड के 30 अप्रैल को पूरा होने के अवसर को देश व दुनिया में जिस तरह से सेलिब्रेट किया गया उससे यह बात साफ हो जाती है कि एक सही दिशा में और उपयुक्त ढंग से की गई छोटी सी पहल भी दुनिया में ऐसा बड़ा दृष्टांत बन सकती है जो हमेशा के लिए यादगार बन जाए। एक ऐसी बड़ी लकीर बन जाए जिसके सामने उससे बड़ी लकीर खींच पाना असंभव हो जाए। आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम ‘जन की बात’ अथवा ‘जन की आवाज’ और एक ‘जन आंदोलन’ बन चुका है।
‘मन की बात’ से सुलझीं अनेक समस्याएं
‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया था जिसे आकाशवाणी पर हर माह के अंतिम रविवार को प्रसारित किया जाता है। विश्व का यह एकमात्र ऐसा कार्यक्रम भी है जिसमें राष्ट्राध्यक्ष देश के विभिन्न मुद्दों पर लोगों से इतने साल से नियमित संवाद कर रहे हैं। ‘मन की बात’ पहला ऐसा कार्यक्रम बन गया जिसमें कोई समस्या सामने आती है तो उस पर पॉलिसी बन जाती है। हाल ही में अंगदान के मुद्दे पर राज्यों में अलग-अलग नियमों और आयु की सीमा की बात सामने आई तो पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में इसका जिक्र किया। इसके बाद अंगदान पर नए नियम जारी किए गए। इसी प्रकार मेडिकल उपकरणों के मनमाने दाम की बात जब सामने आई तो प्राइस कैपिंग के नियम बनाए गए। रविवार को प्रसारित ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड को न केवल संयुक्त राष्ट्र में लाइव सुना गया बल्कि विभिन्न देशों में भारतीयों ने इसे एक महत्वपूर्ण इवेंट का रूप देते हुए सुना। भारतीय मिशन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कार्यक्रम का सीधा प्रसारण ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व घटना है। निश्चित रूप से भारत सरकार और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी तरफ से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि इस मौके की विशिष्टता सबकी नजरों में आ सके। दिल्ली में 6530 स्थानों पर इसके प्रसारण की व्यवस्था प्रदेश बीजेपी ने की थी। यही नहीं, देश-विदेश में इसे 4 लाख स्थानों पर लाइव सुना गया। बीजेपी ने देश में हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन 100 स्थानों पर भी सुनने की विशेष व्यवस्था की थी।
नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इस नियमित ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से अपनी आवाज देशवासियों की सबसे निचली पांत में खड़े लोगों तक पहुंचाई और उनके जीवन में अपने लिए जगह बनाई। यही नहीं, ‘मन की बात’ कार्यक्रम की सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी ने इसे राजनीति से दूर रखा है। पीएम मोदी कभी परीक्षा के दिनों में छात्रों से तो कभी किसानों से, कभी दूरदराज में लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों से तो कभी अध्यापकों अथवा कामगार महिलाओं और पुरुषों से बात करते नजर आते हैं। कभी विज्ञान तो कभी डिजिटल इंडिया और कभी जन-गण-मन की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी बातों पर चर्चा करते इस कार्यक्रम में दिखाई देते हैं। यही इस कार्यक्रम की सुंदरता है जिसे पूरी पवित्रता के साथ पीएम मोदी ने कायम रखा है। लोगों के जीवन पर ‘मन की बात’ के प्रभाव के संबंध में एक अध्ययन भी किया गया जिससे पता चला है कि 100 करोड़ से अधिक लोग कम से कम एक बार मन की बात से जुड़े हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी कहना है कि ‘मन की बात’ की लोकप्रियता सामाजिक कार्यों में प्रधानमंत्री मोदी के योगदान को दर्शाती है। जेवलिन थ्रो में ओलंपिक गोल्ड मैडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने कहा कि ‘मन की बात’ में जिस तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को खेल, योग और फिट इंडिया मूवमेंट के लिए प्रेरित किया है, यह हम सबके लिए बहुत ही गर्व की बात है क्योंकि इससे राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका और प्रभावी बनती है। देशवासियों को भी यह भरोसा नहीं था कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हमारे खिलाड़ी अपना परचम लहरा सकते हैं। पीएम मोदी ने इस माहौल को परिवर्तित कर दिया। ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड के उपलक्ष में दिल्ली में हुए एक बड़े कार्यक्रम में अनेक गण्यमान्य जन आए जहां अभिनेता आमिर खान ने ‘मन की बात’ को ‘ऐतिहासिक’ बताया। वस्तुत: ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत एक नई इबारत लिख रहा है। यह जन-गण का जनमन से संवाद है।
11 विदेशी भाषाओं में भी ‘मन की बात का प्रसारण
‘मन की बात’ का यह कार्यक्रम महिलाओं, युवाओं और किसानों जैसे कई सामाजिक समूहों को संबोधित करते हुए सरकार के नागरिक-पहुंच कार्यक्रम का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है और इसने सामुदायिक कार्रवाई को प्रेरित किया है। 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा, मन की बात फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तो, फारसी, दारी और स्वाहिली भाषाओं में भी प्रसारित की जाती है। ‘मन की बात’ का प्रसारण आकाशवाणी के 500 से अधिक प्रसारण केंद्रों द्वारा किया जा रहा है।