गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। हरियाणा की निशानेबाज मनु भाकर ने वह कर दिखाया जो आज तक भारत के लिए कोई नहीं कर पाया। एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतकर इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा लिया। भाकर की सफलता के पीछे वह टीस रही जो टोक्यो ओलंपिक में मिली थी। 2021 के टोक्यो ओलिंपिक में मनु भाकर क्वालिफाइंग राउंड में थीं। मनु को 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे। तभी उनकी पिस्टल खराब हो गई। 20 मिनट तक वे निशाना नहीं लगा पाईं ं। पिस्टल ठीक हुई, तब भी मनु सिर्फ 14 शॉट लगा पाईं ंऔर फाइनल की रेस से बाहर हो गईं ं।
मनु भारत लौटीं तो इतनी उदास थीं कि मां को फिक्र होने लगी। उन्होंने मनु की पिस्टल छिपा दी, ताकि उस पर नजर न पड़े और वह दुखी न हो। मनु शूटिंग छोड़ने की बात करने लगी थीं। मां सुमेधा कहती हैं, मैं मनु का मैच नहीं देख पाई थी। बाद में उसका वीडियो देखा तो बहुत दुख हुआ। मुझे लगा कि जब मैं दुखी हो रही हूं, तो मनु की क्या हालत हो रही होगी।’ हरियाणा के झज्जर की रहने वालीं उसी मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक में इतिहास रच दिया है।
मां डॉक्टर बनाना चाहती थीं, टीचर ने कहा डॉक्टर को कौन जानेगा
मनु की मां डॉ. सुमेधा भाकर स्कूल प्रिंसिपल रही हैं। वे चाहती थीं कि बेटी डॉक्टर बने। स्कूल के फिजिकल टीचर ने मनु को स्पोर्ट्स में डालने के लिए कहा। टीचर ने कहा कि डॉक्टर को कौन जानेगा, अगर मनु देश के लिए मेडल जीतेगी, तो पूरी दुनिया उसे जानेगी। डॉ. सुमेधा को फिजिकल टीचर की सलाह ठीक लगी। यहीं से मनु की स्पोर्ट्स जर्नी शुरू हो गई।
स्कूल में शूटिंग शुरू की, पहले ही शॉट पर कोच बोले- ये लड़की मेडल लाएगी
मनु कई गेम में हाथ आजमा चुकी थीं, लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनकी मां जिस यूनिवर्सल स्कूल में प्रिंसिपल थीं, वहां शूटिंग रेंज भी है। मां ने मनु को पापा के साथ शूटिंग रेंज भेजा। मनु ने पहला ही शॉट मारा था कि फिजिकल टीचर अनिल जाखड़ ने उनका हुनर पहचान लिया। उन्होंने मनु की मां से कहा कि मनु को इस गेम में टाइम देने दीजिए, ये देश के लिए मेडल लाएगी।
– 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा में मनु ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर कांस्य जीता।
– इंडिविजुअल इवेंट में भी मनु भाकर कांस्य जीत चुकी हैं।
मनु की मां चाहती थीं कि बेटी डॉक्टर बने क्योंकि घर में कोई डॉक्टर नहीं था। वे कहती हैं, ‘मनु पढ़ने में अच्छी थी। खास तौर से बायोलॉजी में बहुत स्ट्रॉन्ग थी। मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए उसने कोटा में कोचिंग सेंटर भी देख लिया था।’ तभी फिजिकल टीचर अनिल जाखड़ की एंट्री हुई। उन्होंने मनु की मां से कहा कि आप कुछ दिन के लिए मनु को मुझे दे दो। मैं चाहता हूं कि वो शूटिंग करे। तब मनु की उम्र सिर्फ 14 साल थी।
उस वक्त रियो ओलंपिक-2016 खत्म ही हुआ था। मनु ने एक हफ्ते के अंदर पिता से शूटिंग पिस्टल लाने के लिए कहा। पिता ने बेटी की बात मानकर पिस्टल दिला दी। एक साल बाद ही मनु नेशनल लेवल पर मेडल जीतकर शूटिंग फेडरेशन के जूनियर प्रोग्राम के लिए सिलेक्ट हो गईं ं। वहां इंटरनेशनल मेडलिस्ट जसपाल राणा का साथ मिल गया। जसपाल राणा ही अभी मनु के कोच हैं। जसपाल राणा भी चार बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
15 दिन की प्रैक्टिस में स्टेट कॉम्पिटिशन में जीता गोल्ड
मनु ने सिर्फ 15 दिन प्रैक्टिस की और महेंद्रगढ़ में हुए स्टेट कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेने चली गईं। पहले ही कॉम्पिटिशन में गोल्ड जीतकर लौटीं। प्राइज में 4500 रुपए मिले। मनु काफी खुश थीं। पेरेंट्स को भी लगा कि वे शूटिंग में अच्छा कर सकती है।
शूटिंग शुरू करने के सिर्फ तीन साल बाद 2017 में मनु नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में उतरीं। उन्होंने ओलंपियन और पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 हीना सिद्धू को हरा दिया। साथ ही 10 मीटर एयर पिस्टल में 242.3 का स्कोर कर नया रिकॉर्ड भी बना दिया। मनु ने चैंपियनशिप में 9 गोल्ड जीते, जो नेशनल रिकॉर्ड है।
पिता बोले- बेटी मेडल जीत रही थी, लेकिन लाइसेंस के लिए परेशान होते थे
मनु के पिता रामकिशन भाकर बताते हैं, ‘शुरुआत में हमें पिस्टल के लाइसेंस के लिए बहुत चक्क र लगाने पड़े। मनु इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीत रही थी, फिर भी लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए मुझे पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के चक्क र काटने पड़ते थे। अब जाकर शूटर्स के लाइसेंस बनाने की प्रोसेस में काफी सहूलियत हुई है।’ 2018 में मनु ने इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन, यानी आईएसएसएफ में दो गोल्ड जीते थे। उन्होंने चैंपियनशिप में जिस पिस्टल से निशाना लगाया था, उसका लाइसेंस हासिल करने में मनु को ढाई महीने लगे थे। आमतौर पर ये लाइसेंस खिलाड़ियों को एक हफ्ते में मिल जाता है।
अर्जुन पुरस्कार मिला
अगस्त 2020 में मनु भाकर को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।